ज्योतिषियों की मानें ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 30 मई को सुबह 11 बजकर 43 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 31 मई को सुबह 09 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगी। कालाष्टमी पर निशा काल में भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा की जाती है। इसके लिए 30 मई को कालाष्टमी मनाई जाएगी।
हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। तंत्र विद्या सीखने वाले साधकों के लिए यह दिन बेहद खास होता है। साधक विशेष कार्य में सिद्धि पाने हेतु कालाष्टमी तिथि पर भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा करते हैं। इस व्रत के पुण्य प्रताप से साधक के जीवन में व्याप्त सकल दुख, संकट, काल और क्लेश दूर हो जाते हैं। साथ ही साधक को मनचाहा वर प्राप्त होता है। अतः साधक श्रद्धा भाव से काल भैरव देव की पूजा करते हैं। आइए, कालाष्टमी की शुभ तिथि, शुभ मुहूर्त एवं महत्व जानते हैं-
शुभ मुहूर्त
ज्योतिषियों की मानें ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 30 मई को सुबह 11 बजकर 43 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 31 मई को सुबह 09 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगी। कालाष्टमी पर निशा काल में भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा की जाती है। इसके लिए 30 मई को कालाष्टमी मनाई जाएगी।
महत्व
सनातन धर्म में कालाष्टमी पर्व का विशेष महत्व है। इस शुभ अवसर पर शिव मंदिरों को भव्य तरीके से सजाया जाता है। साथ ही काल भैरव की विशेष पूजा की जाती है। तंत्र सीखने वाले साधक सिद्धि प्राप्ति हेतु निशा काल में अनुष्ठान करते हैं। कठिन साधना से प्रसन्न होकर काल भैरव देव साधक की मनोकामना पूर्ण करते हैं।
योग
ज्योतिषियों की मानें तो ज्येष्ठ कालाष्टमी पर बव और बालव करण के योग बन रहे हैं। इन योग में शुभ कार्य कर सकते हैं। साथ ही बव और बालव करण योग में काल भैरव देव की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के शुभ फलों की प्राप्ति होती है।