देवी छिन्नमस्ता का स्वरूप बेहद वीभत्स्य है। वे अपने हाथ में अपना ही कटा हुआ सिर और दूसरे हाथ में खड़ग धारण करती हैं। ऐसा कहा जाता है कि देवी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही सारे दुखों का अंत होता है। इस साल छिन्नमस्ता जयंती 21 मई 2024 को मनाई जाएगी।
मां छिन्नमस्तिका (छिन्नमस्ता) को दस महाविद्याओं में छठी महाविद्या माना जाता है। शास्त्रों में देवी पूजा का खास महत्व है। देवी छिन्नमस्ता का स्वरूप बेहद वीभत्स्य है। वे अपने हाथ में अपना ही कटा हुआ सिर और दूसरे हाथ में खड़ग धारण करती हैं। ऐसा कहा जाता है कि देवी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
साथ ही सारे दुखों का अंत होता है। इस साल छिन्नमस्ता जयंती 21 मई, 2024 को मनाई जाएगी, तो आइए इसकी तिथि और पूजा विधि जानते हैं।
छिन्नमस्तिका डेट और शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 21 मई, 2024 दिन मंगलवार शाम 5 बजकर 39 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन 22 मई, 2024 दिन बुधवार को शाम 6 बजकर 47 मिनट पर होगा। ऐसे में छिन्नमस्ता जयंती इस साल 21 मई को मनाई जाएगी।
छिन्नमस्तिका देवी की पूजा विधि
- इस दिन भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
- इसके बाद साफ कपड़े धारण करें।
- फिर व्रत का संकल्प लें।
- एक वेदी पर मां छिन्नमस्तिका की प्रतिमा स्थापित करें।
- देवी को गंगाजल, पंचामृत व साफ जल से स्नान करवाएं।
- देवी को कुमकुम और सिंदूर का तिलक लगाएं।
- मां को गुड़हल के फूलों की माला अर्पित करें।
- लौंग, इलायची, बतासा, नारियल, मिठाई और फल का भोग लगाएं।
- पूजा का समापन आरती से करें।
- देवी के वैदिक मंत्रों का जाप और ध्यान करें।
- पूजा के दौरान हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगे।
- इस दिन कन्या पूजन का भी विधान है।