ज्योतिषियों की मानें तो राहु के गुरु के साथ रहने पर गुरु चांडाल दोष लगता है। राहु और केतु के मध्य सभी शुभ और अशुभ ग्रहों के रहने पर कालसर्प दोष लगता है। कालसर्प दोष कई प्रकार के होते हैं। यह भाव अनुसार बनता है। इसी प्रकार कुंडली के किसी भाव में राहु का मंगल के साथ युति होने पर अंगारक योग लगता है।
ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु को मायावी ग्रह कहा जाता है। वर्तमान समय में राहु मीन राशि में विराजमान हैं और केतु कन्या राशि में विराजमान हैं। राहु और केतु दोनों वक्री चाल चलते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो कुंडली में राहु और केतु के शुभ स्थिति में रहने पर जातक को जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। वहीं, राहु और केतु की अशुभ स्थिति में जातक को विषम परिस्थिति से गुजरना पड़ता है। राहु और केतु के शुभ और अशुभ ग्रहों के साथ युति होने पर कुंडली में कई दोष बनते हैं। इनमें एक दोष अंगारक योग है। कुंडली में अंगारक दोष लगने पर शुभ ग्रहों का प्रभाव क्षीण होने लगता है। आइए, इस दोष के बारे में सबकुछ जानते हैं-
कैसे बनता है अंगारक योग ?
ज्योतिषियों की मानें तो राहु के गुरु के साथ रहने पर गुरु चांडाल दोष लगता है। राहु और केतु के मध्य सभी शुभ और अशुभ ग्रहों के रहने पर कालसर्प दोष लगता है। कालसर्प दोष कई प्रकार के होते हैं। यह भाव अनुसार बनता है। इसी प्रकार कुंडली के किसी भाव में राहु का मंगल के साथ युति होने पर अंगारक योग लगता है। आसान शब्दों में कहें तो राहु और मंगल के साथ रहने पर अंगारक योग बनता है।
अंगारक योग के प्रभाव
अंगारक दोष लगने पर जातक को जीवन में नाना प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। शुभ कार्यों में बाधा आती है। जातक चाहकर भी शुभ कार्यों में सफल नहीं हो पाता है। कारोबार मंदा हो जाता है। नौकरी से जुड़े लोनों को मानसिक तनाव से गुजरना पड़ता है। विवाह संबंधी कार्यों में बाधा आती है। जातक गुस्सैल भी हो जाता है।
उपाय
- अंगारक योग बनने पर किसी प्रकांड ज्योतिष या पंडित से दोष निवारण कराएं।
- राहु के अशुभ प्रभावों को समाप्त करने के लिए मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करे।
- अंगारक योग से निजात पाने के लिए मंगलवार के दिन व्रत अवश्य करें।
- मंगलवार के दिन मसूर दाल, लाल रंग के कपड़े और लाल मिर्च आदि चीजों का दान करें।
- अंगारक योग के प्रभाव को समाप्त करने के लिए रोजाना स्नान-ध्यान के बाद हनुमान चालीसा का पाठ करें। साथ ही महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।