हिंदू मान्यताओं के अनुसार शनिदेव न्याय के देवता हैं। शनि देव को कर्मफल दाता भी कहा जाता है क्योंकि वह हर व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर फल भी देते हैं। वहीं ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार शनि की महादशा 19 वर्षों तक चलती है जो बड़ी ही कष्टकारी माना जाती है। ऐसे में आप इससे बचाव के लिए रोजाना इस स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब राजा दशरथ के राज्य में जब अकाल पड़ गया था, तब उन्होंने शनि देव को प्रसन्न करने के लिए शनि स्तोत्रम की रचना की थी। ऐसे में रोजाना शनि स्तोत्रम का पाठ करने से शनि की महादशा के बुरे परिणामों से बचा जा सकता है। यह स्तोत्र संस्कृत में लिखित है, ऐसे में यदि आप शनि स्तोत्र पढ़ने में सहज नहीं है तो रोजाना इसका ऑडियो या वीडियो को सुन या देख भी सकते हैं।
शनि स्तोत्रम
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम:।।
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते।।
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम:।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।
नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च।।
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते।।
तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।।
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।
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देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा:।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:।।
प्रसाद कुरु मे सौरे वारदो भव भास्करे।
एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल:।।
इन तरीकों से करें अपना बचाव
जब किसी व्यक्ति के जीवन में शनि की महादशा चल रही होती है, तो ऐसी स्थिति हर शनिवार को शनि देव की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। इसके साथ ही रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करें। शनि की महादशा में शनिवार के दिन शनि देव की जुड़ी हुई चीजें जैसे काले तिल, काल कपड़े और तेल आदि चीजों का भी दान करें। बुरे परिणामों से बचने के लिए दीपदान करें और भगवान कालभैरव की पूजा करें। इसके साथ ही शनिवार के दिन सूर्योदय से पहले पीपल के पेड़ में जल अर्पित करें।