माता जानकी की कृपा प्राप्ति के लिए उत्तम है सीता नवमी

पंचांग के अनुसार हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर सीता नवमी मनाई जाती है। इस दिन को माता सीता के धरती पर प्राक्ट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह माता सीता के साथ-साथ भगवान राम की कृपा प्राप्ति के लिए भी एक उत्तम दिन है। ऐसे में इस विशेष दिन पर विधि-विधानपूर्वक माता सीता और भगवान राम की पूजा-अर्चना करनी चाहिए।

भगवान राम की पत्नी, माता सीता पतिव्रता नारी के रूप में जानी जाती हैं। ऐसे में सुहागिन महिलाओं द्वारा सीता नवमी की पूजा का विशेष महत्व माना गया है। इससे जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है और अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद भी मिलता है। ऐसे में आप सीता नवमी के दिन इस स्तोत्र का पाठ करके माता सीता की कृपा के पात्र बन सकते हैं।

सीता नवमी का शुभ मुहूर्त

वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि का आरंभ 16 मई 2024 को प्रातः 04 बजकर 52 मिनट पर हो रहा है। साथ ही यह तिथि 17 मई को सुबह 07 बजकर 18 मिनट पर खत्म होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, सीता नवमी 16 मई, गुरुवार के दिन मनाई जाएगी। इस दौरान सीता नवमी मध्याह्न मुहूर्त सुबह 11 बजकर 08 मिनट से दोपहर 01 बजकर 21 मिनट तक रहेगा।

जानकी स्तोत्र

नीलनीरज-दलायतेक्षणां लक्ष्मणाग्रज-भुजावलम्बिनीम्।

शुद्धिमिद्धदहने प्रदित्सतीं भावये मनसि रामवल्लभाम्।

रामपाद-विनिवेशितेक्षणामङ्ग-कान्तिपरिभूत-हाटकाम्।

ताटकारि-परुषोक्ति-विक्लवां भावये मनसि रामवल्लभाम्।।

कुन्तलाकुल-कपोलमाननं, राहुवक्त्रग-सुधाकरद्युतिम्।

वाससा पिदधतीं हियाकुलां भावये मनसि रामवल्लभाम्।।

कायवाङ्मनसगं यदि व्यधां स्वप्नजागृतिषु राघवेतरम्।

तद्दहाङ्गमिति पावकं यतीं भावये मनसि रामवल्लभाम्।।

इन्द्ररुद्र-धनदाम्बुपालकै: सद्विमान-गणमास्थितैर्दिवि।

पुष्पवर्ष-मनुसंस्तुताङ्घ्रिकां भावये मनसि रामवल्लभाम्।।

संचयैर्दिविषदां विमानगैर्विस्मयाकुल-मनोऽभिवीक्षिताम्।

तेजसा पिदधतीं सदा दिशो भावये मनसि रामवल्लभाम्।।

।।इति जानकीस्तोत्रं सम्पूर्णम्।।

श्री जानकी स्तुति: (Janki Stuti)

जानकि त्वां नमस्यामि सर्वपापप्रणाशिनीम्।

जानकि त्वां नमस्यामि सर्वपापप्रणाशिनीम्।।1।।

दारिद्र्यरणसंहर्त्रीं भक्तानाभिष्टदायिनीम्।

विदेहराजतनयां राघवानन्दकारिणीम्।।2।।

भूमेर्दुहितरं विद्यां नमामि प्रकृतिं शिवाम्।

पौलस्त्यैश्वर्यसंहत्रीं भक्ताभीष्टां सरस्वतीम्।।3।।

पतिव्रताधुरीणां त्वां नमामि जनकात्मजाम्।

अनुग्रहपरामृद्धिमनघां हरिवल्लभाम्।।4।।

आत्मविद्यां त्रयीरूपामुमारूपां नमाम्यहम्।

प्रसादाभिमुखीं लक्ष्मीं क्षीराब्धितनयां शुभाम्।।5।।

नमामि चन्द्रभगिनीं सीतां सर्वाङ्गसुन्दरीम्।

नमामि धर्मनिलयां करुणां वेदमातरम्।।6।।

पद्मालयां पद्महस्तां विष्णुवक्ष:स्थलालयाम्।

नमामि चन्द्रनिलयां सीतां चन्द्रनिभाननाम्।।7।।

आह्लादरूपिणीं सिद्धिं शिवां शिवकरीं सतीम्।

नमामि विश्वजननीं रामचन्द्रेष्टवल्लभाम्।

सीतां सर्वानवद्याङ्गीं भजामि सततं हृदा।।8।।

माता सीता पूजा विधि

सीता नवमी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान से निवृत हो जाएं। इसके बाद साफ-सुधरे वस्त्र धारण करें। मंदिर में एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान राम और माता सीता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें और उन्हें स्नान कराएं। सीता माता के सामने दीप जालएं और उन्हें श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें। इसके बाद भगवान राम और माता सीता को फल-फूल, धूप-दीप आदि अर्पित करें। अंत में आरती करें और सभी में प्रसाद बांटें।

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