धार्मिक मत है कि मां दुर्गा की पूजा-भक्ति करने से जातक के जीवन में व्याप्त सकल दुख और संताप दूर हो जाते हैं। साथ ही घर में सुख समृद्धि एवं खुशहाली आती है। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर दुर्लभ ध्रुव योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में मां दुर्गा की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।
हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर मासिक दुर्गाष्टमी मनाई जाती है। इस प्रकार वैशाख माह में 15 मई यानी आज मासिक दुर्गाष्टमी है। इस दिन जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत-उपवास रखा जाता है। धार्मिक मत है कि मां दुर्गा की पूजा-भक्ति करने से जातक के जीवन में व्याप्त सकल दुख और संताप दूर हो जाते हैं। साथ ही घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आती है। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर दुर्लभ ध्रुव योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में मां दुर्गा की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। आइए, पंडित हर्षित शर्मा जी से आज का पंचांग जानते हैं-
आज का पंचांग
योग
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर दुर्लभ ध्रुव योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 07 बजकर 43 मिनट से हो रहा है। ध्रुव योग 16 मई को सुबह 08 बजकर 23 मिनट तक है। इससे पूर्व वृद्धि योग है। ज्योतिष ध्रुव योग को शुभ मानते हैं। इस योग में जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होगी। साथ ही जीवन में व्याप्त दुख और संकट दूर हो जाएंगे।
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय – सुबह 05 बजकर 30 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 07 बजकर 05 मिनट पर
चन्द्रोदय- सुबह 11 बजकर 51 मिनट पर
चंद्रास्त- देर रात 01 बजकर 30 मिनट पर
पंचांग
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 07 मिनट से 04 बजकर 48 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 33 मिनट से 03 बजकर 28 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 07 बजकर 04 मिनट से 07 बजकर 25 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 38 मिनट तक
अशुभ समय
राहु काल – दोपहर 12 बजकर 18 मिनट से 01 बजकर 59 मिनट तक
गुलिक काल – सुबह 10 बजकर 36 मिनट से दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक
दिशा शूल – उत्तर
ताराबल
अश्विनी, कृत्तिका, मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, उत्तरा फाल्गुनी, चित्रा, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, उत्तराषाढ़ा, धनिष्ठा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवती
चन्द्रबल
वृषभ, कर्क, कन्या, तुला, मकर, कुंभ