वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर मां गंगा का धरती पर प्राकट्य हुआ था। इसलिए इस दिन को गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। इस बार आज यानी 14 मई (Ganga Saptami 2024 Date) को गंगा सप्तमी मनाई जा रही है। इस खास अवसर पर गंगा स्नान और मां गंगा की पूजा करने से जातक के दुख और संकट दूर होते हैं।
गंगा सप्तमी का त्योहार आज यानी 14 मई को मनाया जा रहा है। स्कंद पुराण के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर मां गंगा का धरती पर प्राकट्य हुआ था। इसलिए इस दिन को गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। इस खास अवसर पर गंगा स्नान और मां गंगा की पूजा करने से जातक के दुख और संकट दूर होते हैं। साथ ही सभी देवी-देवता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। पौराणिक कथा के अनुसार, मां गंगा ने अपने 7 पुत्रों को नदी में प्रवाहित किया था, लेकिन क्या आप जानते हैं कि मां गंगा ने आखिर ऐसा क्यों किया? आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।
राजा ने मां गंगा से शादी करने का प्रस्ताव रखा
पौराणिक कथा के अनुसार, महाराज शांतनु मां गंगा से प्रेम किया करता था। वह हस्तिनापुर का महाराज था। उसने मां गंगा से शादी करने के लिए कहा। महाराज के इस प्रस्ताव को मां ने स्वीकार किया, लेकिन उन्होंने एक शर्त रखी थी कि वह जीवन में कभी भी किसी से बात करने से नहीं रोकेंगे। अगर महाराज ने ऐसा किया, तो वह उसे छोड़कर चली जाएंगी। उन्होंने मां गंगा की इस बात को स्वीकार किया।
विवाह के पश्चात मां गंगा को पुत्र की प्राप्ति हुई, तो राजा बेहद खुश हुआ, लेकिन गंगा ने अपने नवजात शिशु को नदी में बहा दिया। राजा शांतनु अपने वचन के कारण मां गंगा जी को रोक नहीं सके।
पुत्र को नदी में बहाने का पूछा कारण
इसी तरह गंगा जी ने अपने अन्य 7 पुत्रों को भी नदी में बहा दिया। जब आठवें पुत्र ने जन्म लिया और गंगा जी उन्हें भी नदी में बहाने जा रही थी, तो राजा ने उन्हें रोक लिया और ऐसा करने का कारण पूछा। इस पर मां गंगा ने जवाब दिया कि मैं अपने पुत्रों को वशिष्ठ ऋषि के श्राप मुक्त कर रही हूं।
गंगा ने आगे बताया कि उनके आठों पुत्र वसु थे, जिन्हें ऋषि वशिष्ठ के द्वारा श्राप मिला हुआ था कि पृथ्वी पर जन्म लेने के बाद इन्हें बहुत दुखों का सामना करना पड़ेगा। इसलिए मां गंगा ने संतान को कष्टों से बचाव के लिए नदी में प्रवाहित कर दिया था। ऐसे में राजा शांतनु ने जिस आठवां पुत्र को बचा लिया गया था।