सनातन धर्म में सभी पर्व किसी न किसी देवी-देवता से संबंधित हैं। ऐसे में होली के आठवें दिन मनाए जाने वाला शीतला अष्टमी पर्व मां शीतला को समर्पित है। इस त्योहार को बसौड़ा के नाम से भी जाना जाता है। इस बार शीतला अष्टमी 02 अप्रैल को मनाई जाएगी। इस दिन लोग मां शीतला की विशेष पूजा-अर्चना और व्रत करते हैं और बासी भोजन का भोग लगाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से बच्चों को चेचक समेत कई बीमारियों से बचाव होता है।
इस खास अवसर पर लोग मां शीतला के मंदिर जाकर उनके दर्शन करते हैं और उपासना करते हैं। अगर आप भी शीतला अष्टमी पर मां शीतला के मंदिर जाने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो हम आपको इस आर्टिकल में मां शीतला के एक ऐसे में मंदिर के बारे में बताएंगे, जहां मन्नत का धागा बांधने से साधक की मनचाही मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
शीतला माता मंदिर (Sheetala Mata Mandir)
मां शीतला का यह मंदिर हरियाणा के गुरुग्राम में स्थित है। यह मंदिर देशभर में अधिक प्रसिद्ध है। शीतला माता मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है। ऐसा बताया जाता है कि यह मंदिर करीब चार सौ वर्ष पुराना है। धार्मिक मान्यता है कि इस मंदिर में मां शीतला वास करती हैं। यहां मां शीतला के दर्शन करने से साधक को चेचक, नेत्र और खसरा बीमारी से छुटकारा मिलता है।
ऐसा करने से मनोकामनाएं होती हैं पूरी
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस मंदिर में चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर अधिक संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इस खास अवसर पर मंदिर में अलग ही रौनक देखने को मिलती है।
मंदिर में कई वर्षों पुराना एक बरगद का पेड़ है। ऐसी मान्यता है कि जो साधक इस पेड़ पर कलावे के रूप में मन्नत का धागा बांधते हैं और चुन्नी चढ़ाकर जल अर्पित करते हैं, तो उनकी मनचाही मनोकामना पूरी होती है। साथ ही यहां मां शीतला की उपासना करने से संतान की प्राप्ति होती है।