8 या 9 अप्रैल, कब से है चैत्र नवरात्र?

नवरात्र के 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा और व्रत किया जाता है। हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तक चैत्र नवरात्र का त्योहार मनाया जाता है। नवरात्र में जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है और साथ ही शुभ फल की प्राप्ति के लिए व्रत किया जाता है।

देशभर में नवरात्र का पर्व अधिक उत्साह के साथ मनाया जाता है। नवरात्र का अर्थ है कि ‘नौ विशेष रातें’। इन नौ रातों में देवी शक्ति और उनके नौ रूपों की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तक चैत्र नवरात्र का त्योहार मनाया जाता है। नवरात्र में जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है और साथ ही शुभ फल की प्राप्ति के लिए व्रत किया जाता है। इस बार चैत्र नवरात्र की शुरुआत की डेट को लेकर लोग अधिक कन्फ्यूज हो रहे हैं। कुछ लोग चैत्र नवरात्र का प्रारंभ 08 अप्रैल से बता रहे हैं, तो वहीं कुछ लोग 09 अप्रैल से चैत्र नवरात्र की शुरुआत बता रहे हैं। आइए इस आर्टिकल में हम आपको हिंदू पंचांग के अनुसार बताएंगे कि आखिर कब से शुरू हो रहे हैं चैत्र नवरात्र।

कब से है चैत्र नवरात्र 2024

सनातन धर्म में नवरात्र के पर्व को अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी 09 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि शुरू होंगे और 17 अप्रैल को समापन होगा। ऐसे में 09 अप्रैल को घटस्थापना कर मां दुर्गा की विशेष पूजा कर सकते हैं।

चैत्र नवरात्र 2024 कैलेंडर

  • 09 अप्रैल 2024 – घटस्थापना, मां शैलपुत्री की पूजा
  • 10 अप्रैल 2024 – मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
  • 11 अप्रैल 2024 – मां चंद्रघंटा की पूजा
  • 12 अप्रैल 2024 – मां कुष्मांडा की पूजा
  • 13 अप्रैल 2024 – मां स्कंदमाता की पूजा
  • 14 अप्रैल 2024 – मां कात्यायनी की पूजा
  • 15 अप्रैल 2024 – मां कालरात्रि की पूजा
  • 16 अप्रैल 2024 – मां महागौरी की पूजा
  • 17 अप्रैल 2024 – मां सिद्धिदात्री की पूजा, राम नवमी

चैत्र नवरात्र का महत्व

नवरात्र के 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा और व्रत किया जाता है। इस दौरान मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लोग भजन-कीर्तन करते हैं। हिंदू मान्यता के अनुसार, नवरात्र के दौरान मां दुर्गा की विशेष पूजा करने से साधक को सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही मां दुर्गा की आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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