इस्लाम धर्म के अनुयायियों द्वारा रमजान के महीने को बहुत ही पवित्र समय माना जाता है। माना जाता है कि रमजान में रोजा रखने से अल्लाह खुश होते हैं और लोगों की हर मुराद पूरी करते हैं। रोजा खोलने के लिए सबसे पहले खजूर खाया जाता है क्या आप इसका कारण जानते हैं? अगर नहीं तो चलिए जानते हैं इसका कारण।
इस्लाम धर्म में रमजान के महीने को बहुत ही पाक महीना माना जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, रमजान का महीना नौवां महीना होता है। इस पूरे महीने मुसलमान सूर्योदय होने से लेकर सूर्यास्त तक उपवास रखते हैं। भारत में रमजान की शुरुआत 12 मार्च, मंगलवार के दिन से हो चुकी है। वहीं, इसका समापन 10 अप्रैल, बुधवार के दिन होगा।
रोजा रखने का महत्व
रमजान में रोजा रखने का विशेष महत्व माना गया है। रोजेदार सूर्योदय से सूर्यास्त तक पूरे एक महीने का रोजा रखते हैं। इस दौरान रोजाना रात में नमाज अदा की जाती है। इफ्तार के समय तरह-तरह के पकवान बनाकर रोजा खोला जाता है। रमजान का पाक महीना अच्छे काम करने के लिए समर्पित है।
इस दौरान इस्लाम धर्म के अनुयायी अपना अधिकतर समय अल्लाह की इबादत करने में बिताते हैं। मुस्लिम धर्म ग्रंथों में माना गया है कि जो व्यक्ति रमजान के महीने में नियमानुसार रोजा रखता है और सच्चे दिल से अल्लाह से दुआ मांगता है, उसकी सभी दुआएं कुबूल होते हैं और उसके सभी गुनाह भी माफ हो जाते हैं।
इसलिए खाया जाता है खजूर
रमजान में खजूर खाकर रोजा खोलने को सुन्नत माना जाता है। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, खजूर पैगंबर हजरत मोहम्मद का पसंदीदा फल था। माना जाता है कि वह भी खजूर खाकर ही रोजा खोलते थे। इसलिए मुस्लिम धर्म के लोग भी अपना रोजा खोलने के लिए भी सबसे पहले खजूर ही खाते हैं और इसके बाद अन्य चीजें खाई जाती हैं।
इसलिए भी है फायदेमंद
स्वास्थ्य पर भी खजूर के कई फायदे देखने को मिलते हैं। ऐसे में यदि रोजेदार, दिनभर रोजा रखने के बाद खजूर का सेवन करके अपना रोजा खोलते हैं, तो उन्हें तुरंत ऊर्जा मिलती है। खजूर शरीर में हाईड्रेशन बनाए रखने में मदद करते हैं। इसलिए उपवास से पहले और बाद में खजूर खाना अच्छा माना जाता है।