शिव जी को बेहद प्रिय है प्रदोष व्रत

प्रदोष व्रत का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। यह भगवान शंकर और देवी पार्वती को समर्पित है। इस दिन की पूजा सच्ची श्रद्धा के साथ करने से धन और वैभव का वरदान प्राप्त होता है। साथ ही देवों के देव महादेव की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है। इस माह का दूसरा प्रदोष व्रत 22 मार्च, 2024 दिन शुक्रवार को रखा जाएगा। तो आइए इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं –

प्रदोष व्रत का महत्व

यह इस माह का दूसरा प्रदोष व्रत है, जो शुक्रवार को पड़ रहा है। ऐसा माना जाता है कि इस शुभ दिन पर समर्पण और भक्ति के साथ भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करने से भक्तों की मनचाही इच्छाएं पूर्ण होती हैं। इसके साथ ही जीवन में सौभाग्य, समृद्धि और खुशहाली आती है। वहीं इस दिन कुछ भक्त भगवान शिव की पूजा भगवान नटराज के रूप में भी करते हैं।

प्रदोष व्रत पूजा विधि

  • साधक सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
  • अपने मंदिर को साफ कर लें।
  • इसके बाद व्रती शिव जी के समक्ष व्रत का संकल्प लें।
  • एक लकड़ी की चौकी पर शिव परिवार की प्रतिमा स्थापित करें।
  • पंचामृत से उनका स्नान करवाएं।
  • शिव जी को सफेद चंदन का तिलक लगाएं।
  • देसी गाय के घी का दीपक जलाएं।
  • भोलेनाथ को बेल पत्र अवश्य चढ़ाएं।
  • सफेद फूलों की माला अर्पित करें।
  • खीर का भोग लगाएं।
  • प्रदोष व्रत कथा पढ़ें या फिर सुनें।
  • अंत में आरती करें और पूजा में गलतियों के लिए क्षमा मांगे।

भगवान शिव को प्रसन्न करने का मंत्र

  • ओम पार्वतीपतये नम:।
  • ।। ओम तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात ।।
  • शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।।ईशानः सर्वविध्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रम्हाधिपतिमहिर्बम्हणोधपतिर्बम्हा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम।।
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