प्रसिद्ध होने के साथ-साथ रहस्यमयी भी हैं भारत ये मंदिर

भारत में कई ऐसे मंदिर हैं, जो अपनी सुबसूरती के लिए लिए दुनिया भर में जाने जाते हैं। इसके साथ ही भारत में कई ऐसे में मंदिर भी हैं, जो प्रसिद्ध होने के साथ-साथ बहुत प्राचीन भी हैं। जगन्नाथ पुरी मंदिर, काशी विश्वनाथ और तिरुपति बालाजी मंदिर इसके ही कुछ सटीक उदाहरण हैं। ये मंदिर दुनियाभर में तो प्रसिद्ध हैं ही, साथ ही इस मंदिरों से जुड़ी मान्यताएं और चमत्कार भी चर्चा का विषय बने रहते हैं।  

जगन्नाथ पुरी मंदिर (Shri Jagannath Temple)

ओडिशा के पुरी में स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर, विष्णु भगवान के ही एक रूप श्री जगन्नाथ को समर्पित माना जाता है। हिंदू धर्म में इस मंदिर को धरती का बैकुंठ भी कहा जाता है। भगवान जगन्नाथ के मंदिर में ऐसे कई चमत्कार होते हैं, जो किसी भी व्यक्ति को आश्चर्य में डाल सकते हैं। ऐसा ही एक चमत्कार है मंदिर के ध्वज का हवा की विपरीत दिशा में लहराना। साथ ही इस मंदिर का एक रहस्य यह भी है कि मंदिर के द्वार तक समुद्र के लहरों की आवाज सुनाई देती है, लेकिन मंदिर में अंदर प्रवेश करते ही लहरों का शोर बिल्कुल खत्म हो जाता है।

काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple)

माना जाता है कि काशी विश्वनाथ मंदिर भारत के प्रमुख और प्राचीन मंदिरों में से एक है, जो उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में गंगा नदी के किनारे स्थित है। साथ ही यह मंदिर बारह ज्योतिर्लिंग में से भी एक है। काशी विश्वनाथ मंदिर को विश्वेश्वर भी कहा जाता है, जिसका अर्थ होता है ‘ब्रह्मांड का शासक’। इस मंदिर को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं, जिनमें से एक यह भी है व्यक्ति को काशी विश्वनाथ के दर्शन करने से मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है।

तिरुपति बालाजी मंदिर (Tirupati Balaji Temple)

आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुमाला पर्वत पर स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर दुनिया के सबसे अमीर मंदिरों में से एक मंदिर है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, विवाह के उपलक्ष्य में लक्ष्मी जी को भेंट करने के लिए विष्णु जी ने कुबेर से धन उधार लिया। इसलिए यह माना जाता है कि जो भी भक्त मंदिर में धन या सोना चढ़ाते हैं, वह असल में भगवान विष्णु के ऊपर कुबेर के ऋण को चुकाने में सहायता भी करते हैं।

मां कामाख्या देवी मंदिर (Kamakhya Temple)

मां कामाख्या देवी का मंदिर 51 शक्तिपीठों में शामिल हैं। यह मंदिर असम के गुवाहाटी के नजदीक स्थित है। इस मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है बल्कि मां सती के शरीर के अंग की पूजा की जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार जब विष्णु जी ने देवी सती के शव को काटा था, तब इस स्थान पर माता की योनि गिरी और विग्रह में परिवर्तित हो गई, जो आज भी मंदिर में विराजमान है। माना जाता है कि यहां आज भी माता सती रजस्वला होती हैं।

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