भारत की इन जगहों पर अपने-अपने अंदाज में मनाई जाती है होली

हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की रात होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन होली मनाई जाती है। होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है। साथ ही इस पर्व भाईचारे, आपसी प्रेम और सद्भावना के त्योहार के रूप में भी देखा जाता है। भारत में ऐसी कई जगह हैं, जहां कि होली देखने दुनियाभर से लोग आते हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में।

लट्ठ मार  होली

मथुरा-वृंदावन में मनाई जाने वाले होली को लठमार होली भी कहा जाता है। लठमार होली दुनियाभर में प्रसिद्ध है। इस होली के दौरान महिलाएं डंडों या लट्ठ से पुरुषों को खेल में मारती हैं और रंग लगाती हैं। इसलिए इसे लट्ठ मार होली कहा जाता है। होली से एक दिन पहले यानी फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि को बरसाना की महिलाओं द्वारा नंदगांव में लट्ठमार होली का निमंत्रण भेजा जाता है। फिर नंदगांव के पुरुष जिन्हें  हुरियारे कहा जाता है, बरसाना आकर लट्ठ मार होली खेलते हैं। माना जाता है कि इस होली का चलन राधा-कृष्ण के समय से ही चला आ रहा है।

ये भी हैं अनोखी होली

भगवान कृष्ण से जुड़े स्थानों जैसे मुथरा, वृंदावन आदि में फुलेरा दूज से होली का पर्व शुरू हो जाता है और रंग पंचमी तक ये त्योहार मनाया जाता है। इस दौरान अलग-अलग तरीके जैसे लठ्‌ठमार होली, छड़ीमार होली, फूलों से होली खेली और लड्‌डू मार होली खेली जाती है। इस दौरान लोग एक-दूसरे पर रंग-गुलाल डालने की बजाय लड्डू फेंककर होली खेलते हैं। यह होली सुनने में जितनी रोचक लगती है, उतनी ही प्रसिद्ध भी है।

हंपी की होली

उत्तर भारत की तरह ही दक्षिण भारत में भी अलग-अलग तरीके से होली मनाई जाती है। कर्नाटक के हंपी शहर में मनाई जाने वाली होली इसका एक अच्छा उदाहरण है। हंपी में लोग होली के उत्सव पर ढोल-नगाड़ों के साथ जुलूस निकालते हैं और नृत्य करते हैं। रंग खेलने के बाद लोग तुंगभद्रा नदी और अन्य नदियों में स्नान करने जाते हैं। हंपी की होली देखने भी दूर-दराज से लोग यहां आते हैं।  

उदयपुर की होली

राजस्थान के उदयपुर की होली भी काफी लोकप्रिय है। इसे रॉयल होली भी कहा जाता है, क्योंकि इस दौरान उदयपुर का राज परिवार शाही अंदाज में होली का आयोजन करता है, जिसमें शाही घोड़े और बैंड शामिल होते हैं। जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ यहां पहुंचती है।

गोवा की होली

गोवा में मनाया जाने वाला शिगमोत्सव काफी हद तक होली के जैसा ही होता है। इस त्योहार को स्थानीय लोग अपने देवी-देवताओं की पूजा से शुरू करते हैं, जो लगभग 15 दिनों तक चलता है। शिगमोत्सव के आखिरी 5 दिनों में परेड निकाली जाती है और सांस्कृतिक आयोजन किए जाते हैं। पांचवें दिन लोग एक-दूसरे को गुलाल लगाकर इस उत्सव को मनाते हैं। इस दौरान देश-विदेश से लोग यह उत्सव देखने पहुंचते हैं। होली के दिन गोवा के समुद्र तट (Beach) भी रंगीन हो जाते हैं।

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