किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली को देखकर व्यक्ति के जीवन से जुड़ी कई बातों का पता लगाया जा सकता है। वैदिक ज्योतिष के मुताबिक व्यक्ति की कुंडली में भाव, नक्षत्र और ग्रह देखकर भूतकाल से लेकर भविष्य के बारे में भी पता लगाया जा सकता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि व्यक्ति की कुंडली किस प्रकार उसके जीवन की व्याख्या करती है।
इस क्षेत्रों का मिलता है ज्ञान
कुंडली व्यक्ति के जीवन के संपूर्ण क्षेत्रों की व्याख्या करती है। व्यक्ति के संपूर्ण जीवन को जन्म कुंडली के 12 भावों में बांटा गया है, जिन्हें घर भी कहा जाता है। इन 12 भावों द्वारा स्वास्थ्य, धन, पराक्रम, सुख, संतान, शत्रु, मृत्यु, भाग्य, कर्म, आय, व्यय की पूरी जानकारी हासिल की जा सकती है।
ये हैं कुंडली के 12 भाव
1. प्रथम भाव – पहले भाव के स्वामी मंगल हैं और कारक सूर्य ग्रह है। इस भाव के द्वारा व्यक्ति के स्वभाव के बारे में पता लगाया जा सकता है।
2. द्वितीय भाव – दूसरे भाव का स्वामी शुक्र ग्रह को माना गया है, वहीं, इसके कारक ग्रह गुरु है। धन और परिवार का भाव माना जाता है। इसके द्वारा नेत्र, मुख, वाणी, आदि के बारे में भी ज्ञात किया जा सकता है।
3. तृतीय भाव – तीसरे भाव का स्वामी ग्रह बुध है और कारक ग्रह मंगल है। यह भाई-बहन एवं पराक्रम का भाव है। इस भाव के द्वारा मानसिक संतुलन के बारे में भी ज्ञात किया जा सकता है।
4. चतुर्थ भाव – चौथे भाव का स्वामी ग्रह चंद्र को माना गया है, वहीं, इसका कारक चंद्र और बुध हैं। यह भाव माता एवं आनंद भाव माना जाता है। इसके द्वारा सुख, वाहन, प्रापर्टी, घर आदि ज्ञात किया जाता है।
5. पंचम भाव – पांचवें भाव का स्वामी ग्रह सूर्य होता है और इसका कारक ग्रह गुरु है। कुंडली का पांचवा भाग संतान एवं ज्ञान का भाव होता है।
6. षष्ठम भाव – छठे भाव का स्वामी ग्रह बुध है और कारक ग्रह केतु होता है। षष्ठम भाव से शत्रु एवं रोग और ऋण ज्ञात किया जाता है।
7. सप्तम भाव – सातवें का स्वामी शुक्र होता है और वहीं, कारक शुक्र और बुध हैं। सप्तम भाव विवाह आदि से संबंधित भाव होता है। इस भाव से जीवनसाथी, पार्टनर आदि जैसी चीजों का पता लगाया जा सकता है।
8. अष्टम भाव – कुंडली में आठवें भाव का स्वामी ग्रह मंगल होता है और कारक शनि, मंगल और चंद्र माने गए हैं। कुंडली का आठवां भाव आयु का भाव माना जाता है।
9. नवम भाव – नौवें भाव का स्वामी और कारक दोनों गुरु ग्रह ही है। नौवां भाव भाग्य, पिता एवं धर्म भाव आदि को दर्शाता है।
10. दशम भाव – दसवें भाव का स्वामी ग्रह शनि होता है और कारक भी शनि ही है। कुंडली का दशम भाव व्यक्ति के करियर और व्यवसाय से जुड़ा होता है।
11. एकादश भाव – ग्यारहवें भाव का स्वामी शनि होता है और कारक गुरु है। एकादश भाव जातक को आय और लाभ को दर्शाते हैं।
12. द्वादश भाव – बारहवें भाव का स्वामी गुरु होता है और कारक राहु है। कुंडली में बारहवां भाव व्यय और हानि का भाव है।