हिंदू धर्म में द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी को बेहद शुभ माना जाता है। यह पर्व फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस बार द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 28 फरवरी को है। इस विशेष तिथि पर भगवान गणेश जी की पूजा और व्रत करने का विधान है। संकष्टी चतुर्थी पर साधक सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक व्रत रखते हैं। संकष्टी का अर्थ है जीवन के संकटों के मुक्ति। भगवान गणेश, बुद्धि के सर्वोच्च स्वामी, सभी बाधाओं के निवारण के प्रतीक हैं। इसलिए माना जाता है कि संकष्टी चतुर्थी व्रत को करने से सभी बाधाओं से छुटकारा मिल सकता है।
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा-अर्चना में विशेष चीजों को शामिल करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान गणेश जी प्रसन्न होते हैं और साधक को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। चलिए जानते हैं द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी की पूजा में किन चीजों को शामिल करना चाहिए।
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पूजा सामग्री लिस्ट
- पीला कपड़
- चौकी
- फूल
- जनेऊ
- लौंग
- दीपक
- दूध
- मोदक
- गंगाजल
- जल
- धूप
- देसी घी
- 11 या 21 तिल के लड्डू
- फल
- कलश
- सुपारी
- गणेश जी की प्रतिमा
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का महत्व
फाल्गुन माह में आने वाली चतुर्थी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस खास अवसर पर साधक सच्चे मन से व्रत रखते हैं और गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना करते हैं। माना जाता है कि यह दिन भगवान गणेश जी की कृपा प्राप्त करने के लिए उत्तम माना जाता है।
इस दिन को लेकर ऐसी मान्यता है कि भगवान गणेश अपनी प्रसन्नचित मुद्रा में होते हैं और जो लोग उनकी पूजा करते हैं वे उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण करते हैं।