हिन्दू धर्म में भगवान शिव को देवों के देव महादेव कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि जो भक्त भगवान शिव की शरण में जाता है, उसकी वे रक्षा करते हैं और पुकार सुनते हैं. वे आसानी से भक्तों की पुकार सुनकर खुश हो जाते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक असुर माली और सुमाली अपनी पुकार लेकर भगवान शिव के पास पहुंच गए. जिसके बाद भगवान शिव क्रोधित हो उठे और उनके क्रोध का शिकार भगवान सूर्य देव को होना पड़ा. भगवान शिव ने अपने शस्त्र त्रिशूल से सूर्य देव पर प्रहार कर दिया था, जिससे पूरी सृष्टि अंधकारमय हो गई थी. क्या थी वो घटना, आइए उसके बारे में विस्तार से जानते हैं.
जानें पौराणिक कथा
ब्रह्म वैवर्त पुराण में जिक्र किया गया है कि असुर माली और सुमाली को गंभीर शारीरिक पीड़ा थी और सूर्य देव की अवहेलना के कारण वे इससे मुक्त नहीं हो पा रहे थे. उन दोनों ने भगवान शिव के शरण में जाने का फैसला किया. उन दोनों ने भगवान शिव के समक्ष अपनी पीड़ा व्यक्त की और न ठीक होने का कारण सूर्य देव को बताया. इसके बाद असुर माली और सुमाली की व्यथा सुनकर भगवान शिव व्याकुल हो उठे, इसके परिणास्वरुप उनको क्रोध आ गया. उन्होंने तत्काल त्रिशूल से सूर्य देव पर प्रहार कर दिया.
भगवान शिव के वार को कौन सहन कर सकता था. त्रिशूल के वार से सूर्य देव अचेत होकर अपने रथ से नीचे गिर गए और पूरी सृष्टि अंधकारमय हो गई थी. सूर्य देव कश्यप ऋषि के पुत्र हैं. सृष्टि में अंधकार होने और भगवान शिव के प्रहार के बारे में कश्यप ऋषि को जब पता चला तो वे क्रोधित हो गए. उन्होंने भगवान शिव को पुत्र की दशा पर दुखी होने का श्राप दिया. कहा जाता है कि इस श्राप की वजह से ही भगवान शिव ने गणेश जी का सिर काटा था.
सूर्य देव को दिया जीवनदान
जब शिव भगवान का क्रोध शांत हुआ, तो उन्होंने देखा कि सृष्टि अंधकारमय है. तब उन्होंने सूर्य देव को जीवनदान दिया. जिसके बाद सूर्य देव की चेतना वापस आई, तो उनको पिता के श्राप की जानकारी हुई. वे दुखी हो गए, तब ब्रह्मा जी ने उनको समझाया. भगवान शिव, ब्रह्मा जी, भगवान विष्णु, उनके पिता कश्यप ऋषि ने आशीर्वाद दिया. फिर सूर्य देव अपने रथ पर सवार होकर सृष्टि को प्रकाशमय करने लगे.
सूर्य देव की उपासना
ब्रह्मा जी ने असुर माली और सुमाली को कष्ट से मुक्ति के लिए सूर्य उपासना का महत्व समझाया. तब माली-सुमाली ने ब्रह्मा जी के कहे अनुसार, सूर्य देव की पूजा- आराधना की और उनकी पूजा से प्रसन्न होकर सूर्य देव ने उनकी समस्त शारीरिक परेशानियों का अंत कर दिया.