माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि से बसंत ऋतु का आगमन होता है। इसी दिन बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस साल यह महापर्व 14 फरवरी, 2024 दिन बुधवार को है। बसंत ऋतु अपने साथ उमंग और उत्साह लाती है। बसंत के सुहाने मौसम में नई स्फूर्ति का संचार होने लगता है। इस ऋतु के दौरान प्रकृति में चारों तरफ अलग अहसास होने लगता है।
मां सरस्वती की होती है विशेष पूजा
बसंत पंचमी के दिन ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि मां सरस्वती की विधिपूर्वक पूजा करने से ज्ञान, धन और मधुर संबंधों को विकसित करने में मदद मिलती है। बसंत ऋतू का एक ऐसा मौसम है, जो नए सिरे से शुरुआत करने का प्रतीक है। इसलिए बसंत को ऋतुओं का राजा माना गया है। इन दिनों पूरी धरती एक अलग ही रंग में होती है। इस खास ऋतू में प्रकृति का सौंदर्य अच्छा देखने को मिलता है।
वातावरण होता है खुशनुमा
बसंत पंचमी के दिन पृथ्वी की अग्नि सृजनता की ओर अपनी दिशा करती है। यही वजह है कि ठंड में मुरझाए हुए पेड़-पौधे, फूल आंतरिक अग्नि को प्रज्ज्वलित कर नए सृजन की तरफ बढ़ते हैं। साथ ही खेतों में फसल वातावरण को खुशनुमा बना देती है। जानकारी के लिए बता दें कि बसंत ऋतू में पतझड़ की वजह से पेड़-पौधों पर नई कली खिलकर पुष्प बन जाती है। बसंत का मौसम सर्दियों के जाने का और गर्मियों के आने का संकेत देता है।
लोगों का मनचाहा मौसम है बसंत
बसंत पंचमी के 40 दिन बाद होली का पर्व मनाया जाता है। यही वजह है कि बसंत पंचमी से होली के त्योहार की शुरुआत मानी जाती है। मांगलिक और शुभ कार्यों के लिए बसंत पंचमी का दिन काफी खास होता है।
देश के लगभग हर राज्य में बसंत पंचमी का पर्व अलग-अलग तरीके से मनाते हैं। इस दिन लोग मां सरस्वती की पूजा के दौरान पीले फल, मिठाई और मीठे पीले चावल को भोग लगाते हैं। क्योंकि मां सरवती को पीला रंग बेहद प्रिय है।प्राचीन समय से ही बसंत का लोगों का मनचाहा मौसम रहा है।