जाने बेलपत्र का कौन सा भाग शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए

बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में शिव का वास है. अवंतिका को शिव की नगरी भी कहा जाता है. वहीं, देश भर में सोमवार को शिवलिंग पर भक्तजन शिव की प्रिय चीजें अर्पित करते हैं, ताकि उनकी कृपा प्राप्त की जा सके. भोलेनाथ की प्रिय चीजों में से एक है बेलपत्र. बेलपत्र को बिल्वपत्र भी कहा जाता है. उज्जैन के ज्योतिष आचार्य मनीष शर्मा ने बताया कि बेलपत्र चढ़ाने के कुछ खास नियम हैं, जिसका पालन शिव भक्तों को करना जरूरी है.

शिवलिंग पर न चढ़ाएं इस तरह बेलपत्र
शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए बेलपत्र का चुनाव बहुत ध्यान से करना चाहिए. बेलपत्र कहीं से भी कटा-फटा नहीं होना चाहिए. साथ ही इस पर अधिक धारियां भी नहीं होनी चाहिए. बेलपत्र के बहुत से पत्तों पर चक्र और धारियां होती हैं, जिन्हें पूजा में प्रयोग नहीं करना चाहिए. चक्र और वज्र वाले बेलपत्र को खंडित माना जाता है.

इस दिन न तोड़ें बेलपत्र
शास्‍त्रों में बेलपत्र को तोड़ने को लेकर भी नियम बताए गए हैं. इसके अनुसार बेलपत्र कभी भी सोमवार या फिर चतुर्दशी को नहीं तोड़ना चाहिए. जरूरत हो तो इसे हमेशा एक दिन पहले तोड़ कर रख लेना चाहिए. माना जाता है कि सोमवार और चतुर्दशी तिथि को बेलपत्र तोड़कर शिवलिंग पर चढ़ाने से शिवजी अप्रसन्न होते हैं.

शिवलिंग पर ऐसे चढ़ाएं बेलपत्र
शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए एक साफ और पवित्र बेलपत्र का चयन करें. इसकी पत्तियां बिल्कुल ताजी होनी चाहिए. बेलपत्र चढ़ाते समय ध्‍यान रखें कि बेलपत्र का जो भाग चिकना हो उसी भाग को शिवलिंग के ऊपर रखना चाहिए. इन पत्तियों को धूप और जल के प्रभाव से बचाएं.

पत्र वाला हो बेलपत्र
शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते समय “ॐ नमः शिवाय” या अन्य शिव स्तुति मंत्र का जाप करना चाहिए. इससे शिव के प्रति श्रद्धा और समर्पण का भाव आता है. बेलपत्र 1, 3 या फिर 5 पत्र वाला भी होता है. शास्त्रों के अनुसार बेलपत्र जितने अधिक पत्र वाला होता है, उतना ही अच्‍छा होता है. इसलिए शिवजी को बेलपत्र चढ़ाने में कम से कम यह 3 पत्र वाला होना चाहिए.

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