चौसठ योगिनी मंदिर को लेकर आस-पास के लोगों का कहना है कि आज भी यह मंदिर शंकर भगवान की तंत्र साधना के कवच से ढका हुआ है। यहां पर किसी को भी रात में ठहरने की इजाजत नहीं है। चौसठ योगिनी माता को मां काली का अवतार माना गया है। आइए इस मंदिर से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं –
भारत देश अपनी परंपराओं के लिए जाना जाता है। यहां पूजा-पाठ का विशेष महत्व है, जो कहीं न कहीं देखने को भी मिल जाता है। यहां पर कई प्राचीन और रहस्यमयी मंदिर हैं, जिनमें से एक मध्य प्रदेश का चौसठ योगिनी मंदिर भी है।
इस मंदिर को लोग तांत्रिक यूनिवर्सिटी भी कहते हैं। ऐसे में आज हम इस अद्भुत मंदिर से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों का जिक्र करेंगे, जिसकी जानकारी होना बेहद जरूरी है, तो आइए यहां जानते हैं –
चौसठ योगिनी मंदिर की मुख्य बातें
चौसठ योगिनी मंदिर देवी योगिनी की के लिए समर्पित है। माना जाता है कि इन मंदिरों का निर्माण 9वीं और 12वीं शताब्दी के बीच, कलचुरी, चंदेल और प्रतिहार राजवंशों के शासनकाल के दौरान किया गया था, और ये अपने अद्वितीय गोलाकार आकार और खुली हवा वाले डिजाइन की विशेषता के लिए जाना जाता है। इसके साथ ही इसमें 64 कमरे हैं, जिन 64 कमरों में शिवलिंग की स्थापना की गई है।
सबसे पुराना मंदिर
ऐसा कहा जाता है योगिनियों बेहद होती है। उनकी पूजा से तंत्र-मंत्र मे सिद्धि प्राप्त होती हैं। वर्तमान में, भारत में केवल चार ज्ञात चौसठ योगिनी मंदिर हैं। इस मंदिर के बारे में इतिहासकार बताते हैं कि यह खजुराहो का सबसे पुराना मंदिर है। इसे लोग एकत्तार्सो महादेव मंदिर के नाम से भी जानते हैं। यहां पहले 64 योगिनियों की मूर्तियां हुआ करती थीं, जिनका दर्शन करने के लिए लोग दूर- दूर से आते हैं।
मां काली का अवतार
चौसठ योगिनी मंदिर को लेकर आस-पास के लोगों का कहना है कि आज भी यह मंदिर शंकर भगवान की तंत्र साधना के कवच से ढका हुआ है। यहां पर किसी को भी रात में ठहरने की इजाजत नहीं है। चौसठ योगिनी माता को मां काली का अवतार माना गया है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवी काली ने घोर नाम के राक्षस का अंत करने के लिए इस उग्र और शक्तिशाली रूप को धारण किया था।