प्रदोष व्रत का बड़ा धार्मिक महत्व है। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की भक्तिभाव के साथ पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि जो जातक इस दिन सच्चे भाव के साथ पूजा-अर्चना करते हैं भगवान शिव उन्हें सुख धन समृद्धि और इच्छा पूर्ति का आशीर्वाद देते हैं। तो आइए इस व्रत से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं।
प्रदोष व्रत का दिन भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे ज्यादा अच्छा माना जाता है। प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि में मनाया जाता है। इस व्रत को लोग प्रदोषम के नाम से भी जानते हैं। इस व्रत के दौरान भक्त भगवान शिव और माता पार्वती के लिए उपवास रखते हैं और फिर उनकी विधिपूर्वक पूजा करते हैं। मंगलवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष के नाम से जाना जाता है।
पारण ऐसे करें
जनवरी महीने का आखिरी प्रदोष व्रत 23 जनवरी, 2024 दिन मंगलवार के दिन यानी आज मनाया जा रहा है। महीने का अंतिम प्रदोष व्रत होने की वजह से इसका महत्व बढ़ जाता है, जो लोग इस उपवास को रख रहे हैं उन्हें अगले दिन सुबह सात्विक भोजन से ही इस व्रत को खोलना चाहिए। साथ ही तामसिक चीजों से बचना चाहिए।
प्रदोष व्रत पूजा नियम
- भक्त सुबह उठकर पवित्र स्नान करें।
- एक लकड़ी की चौकी पर भगवान शिव और देवी पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें।
- भगवान का पंचामृत से अभिषेक करें।
- शिव जी को सफेद चंदन और मां पार्वती को कुमकुम लगाएं।
- घी का दीपक जलाएं।
- फल, मिठाई का भोग लगाएं।
- शिव मंत्रों का जाप करें।
- आरती के साथ पूजा का समापन करें।
- पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगे।
- व्रती प्रसाद खाकर अपना व्रत खोलें।
प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व
प्रदोष व्रत का बड़ा धार्मिक महत्व है। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की भक्तिभाव के साथ पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि जो जातक इस दिन सच्चे भाव के साथ पूजा-अर्चना करते हैं भगवान शिव उन्हें सुख, धन, समृद्धि और इच्छा पूर्ति का आशीर्वाद देते हैं। इसके साथ ही इस व्रत को रखने से मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।