22 जनवरी को राम लला अयोध्या के भव्य मंदिर में पधार चुके हैं। पूरे देश में राम भक्त राम जी की भक्ति में डूबे हुए हैं। राम लाल की अलोकिक मूर्ति देखकर सभी भक्त भावविभोर हो उठे। मंदिर में राम भक्तों का तांता लगना शुरू हो चुका है। भगवान राम की मूर्ति के रंग से लेकर उनके वस्त्र और आभूषण सभी एक खास महत्व रखते हैं।
राम लला की मूर्ति में भगवान राम के 5 वर्ष की आयु के दर्शन किए जा सकते हैं। राम लला की गहनों से सुशोभित मूर्ति को देखकर कोई भी व्यक्ति मंत्रमुग्ध हो सकता है। जिस प्रकार राम का नाम और उनका व्यक्तित्व विशेष महत्व रखता है, उसी प्रकार भक्तों ने उनकी मूर्ति से लेकर वस्त्र और आभूषणों को भी विशेष बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। ऐसे में हम आज आपको राम जी द्वारा धारण किए गए आभूषणों का धार्मिक महत्व बताने जा रहे हैं।
मुकुट
प्रभु श्री राम जी के सर पर सुशोभित सोने का मुकुट केवल देखने में ही सुंदर नहीं है, बल्कि इसका एक विशेष महत्व भी है। यह मुकुट उत्तर भारतीय परम्परा द्वारा निर्मित किया गया है। इस मुकुट में माणिक्य पन्ना और हीरे आदि कई रत्न जड़े गए हैं। इसके साथ ही मुकुट के ठीक बीच में भगवान सूर्य को अंकित किया गया है और मुकुट के दाईं तरफ मोतियों की लड़ियां पिरोई गई हैं। इसके साथ ही भगवान राम के पारम्परिक मंगल तिलक को हीरे और माणिक्य से बनाया गया है, जो उनके मुख की शोभा को और भी बड़ा रहा है।
कुंडल और कण्डा
रामलाल की मूर्ति द्वारा धारण किए गए कुंडल, मयूर की आकृति के बनाए गए हैं। यह भी मुकुट की तरह ही सोने, हीरे और माणिक आदि से जड़े गए हैं। प्रभु श्री राम के गले में अर्थ चंद्राकर रतन से जड़ित कण्ड माला पहनाई गई है। इस माला के मध्य में भी सूर्य देव की आकृति अंकित की गई है। साथ ही इस कण्डा में मंगल का विधान रचते पुष्प अर्पित हैं और नीचे पन्ने की लडियां लगाई गई हैं।
कौस्तुभमणि
भगवान के हृदय में कौस्तुभ मणि धारण कराया गया है। इसमें भी बड़े माणिक्य और हीरे आदि जड़े गए हैं। माना जाता है कि भगवान विष्णु और उनके अवतार हृदय में कौस्तुभ मणि धारण करते हैं। इसलिए रामलला की मूर्ति को भी यह धारण करवाया गया है।
पदिक
कण्ठ से नीचे और नाभि कमल से ऊपर पहनाए गए हार को पदिक कहा जाता है। यह हीरे, पन्नों से जड़ा हुआ पांच लड़ियों का आभूषण होता है, इसलिए इसे पदिक कहा जाता है। इसके नीचे एक बड़ा-सा अलंकृत पेण्डेंट लगाया गया है। माना जाता है कि पदिक आभूषण देवताओं द्वारा मुख्य रूप से धारण किया जाता था।
विजयमाल
विजयमाल या वैजयन्ती भगवान राम को पहनाया गया तीसरा और सबसे लम्बा और सोने से निर्मित हार है। इसे विजय के प्रतीक के रूप में पहनाया जाता है। इस हार में वैष्णव परम्परा के सभी मंगल-चिन्ह, सुदर्शन चक्र, पद्म पुष्प, शंख और मंगल-कलश आदि दर्शाए गए हैं। इसमें पांच प्रकार के पुष्पों – कमल, चम्पा, पारिजात, कुन्द और तुलसी भी निर्मित है, जो अधिकतर देवी-देवताओं को प्रिय मानी गई है।
करधनी
भगवान के कमर में करधनी धारण की हुई है। यह भी स्वर्ण, माणिक्य, मोतियों और पन्ने से निर्मित है। इसमें प्राकृतिक सुषमा का अंकन किया गया है। इसमें छोटी-छोटी पांच घंटियां भी लगाई गई हैं, जो पवित्रता का बोध कराती हैं।
हाथों के आभूषण
भगवान की दोनों भुजाओं में स्वर्ण और रत्नों से निर्मित मुजबन्ध पहनाए गए हैं। इसके साथ ही दोनों ही हाथों में रत्नजड़ित कंगन पहनाए गए हैं। राम लला के बाएं और दाएं दोनों हाथों की उंगलियों में रत्नजड़ित मुद्रिकाएं पहनाई गई हैं।
पैरों में छड़ा और पैजनियां
प्रभु श्री राम के चरणों में छड़ा (toe ring) और पैजनियां पहनाई गई हैं, जो सोने से ही निर्मित हैं। यह आभूषण भगवान राम की आभा को और भी सुंदर बना रहे हैं।