प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद पहले ईश्वर के चरण का दर्शन करना चाहिए। इस समय भगवान का स्मरण करना चाहिए। साथ ही मंत्र उच्चारण करना चाहिए। इसके पश्चात प्रभु की छवि (प्रतिमा) का दर्शन करना चाहिए।भक्त प्रतिमा दर्शन के समय भगवान की आंखों में देखते हैं और अपना भाव प्रकट करते हैं। शास्त्रों में निहित है कि भक्त के भाव ज्ञात होने के बाद प्रभु उनके साथ चल देते हैं।
अयोध्या नगरी समेत देश-विदेश में प्राण प्रतिष्ठा का बेहद उत्साह देखने को मिल रहा है। राम मंदिर में रामलला की आज (22 जनवरी) प्राण प्रतिष्ठा होगी। प्राण-प्रतिष्ठा के एक सप्ताह पहले से ही अनुष्ठान कार्य किए जा रहे हैं। भगवान रामलला की पूजा का कार्यक्रम तैयार कर लिया गया है। 17 जनवरी को भगवान श्रीराम की प्रतिमा का अनावरण किया गया। आज प्राण-प्रतिष्ठा समाप्त होने के पश्चात ही आंखों से पट्टी खोली जाएगी। लेकिन क्या आपको पता है कि से पहले प्रतिमा की आंखों पर क्यों पट्टी बांधी जाती है ? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
धार्मिक महत्व
प्रकांड पंडितों की मानें तो भक्त के दर्शन करने के भाव भिन्न-भिन्न होते हैं। प्राण प्रतिष्ठा होने के पश्चात सबसे पहले ईश्वर के चरण का दर्शन करना चाहिए। इस समय का स्मरण करना चाहिए। साथ ही मंत्र उच्चारण करना चाहिए। इसके पश्चात प्रभु की छवि (प्रतिमा) का दर्शन करना चाहिए।
भक्त प्रतिमा दर्शन के समय भगवान की आंखों में देखते हैं और अपना भाव प्रकट करते हैं। भक्त की भावना के अनुरूप प्रभु भी वशीभूत हो जाते हैं। शास्त्रों में निहित है कि भक्त के भाव ज्ञात होने के बाद प्रभु उनके साथ चल देते हैं। अतः प्राण- प्रतिष्ठा से पहले भगवान श्रीराम की आंखों पर पट्टी बांधी जाएगी। 22 जनवरी को प्राण- प्रतिष्ठा के बाद आंखों से पट्टी खोली जाएगी।
कांच टूटने का रहस्य
शास्त्रों में निहित है कि प्रतिमा की प्राण- प्रतिष्ठा के समय शक्ति स्वरूपा प्रकाश पुंज प्रतिमा में प्रवेश करती है। ये तेजोमय शक्ति नेत्र खोलने के साथ ही निकलती है। इसमें असीम शक्ति होती है। धर्म शास्त्रों की मानें तो प्राण- प्रतिष्ठा के पश्चात जब प्रभु (देवी-देवता) अपनी आंख खोलते हैं, तो तेजोमय प्रकाश बाहर आती है।
इस समय प्रभु को दर्पण दिखाया जाता है। प्राण प्रतिष्ठित प्रतिमा से निकली तेजोमय शक्ति दर्पण से टकराती है। इस असीम शक्ति से ही कांच टूटता है। इस तेजोमय शक्ति का आवरण करना अति दुर्लभ है। अतः नेत्र खोलने के समय देवी-देवताओं को दर्पण दिखाया जाता है।