दशहरे मतलब विजय दशमी के दिन ही प्रभु श्री राम ने रावण पर विजय हासिल की थी। इस दिन अस्त्र-शस्त्रों की उपासना की जाती है तथा विजय त्यौहार मनाया जाता है। क्या आप जानते हैं कुंडली में जरा से फर्क के कारण भगवान श्री राम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी। आइए आज आपको प्रभु श्री राम की कुंडली की विशेषता तथा रावण की कुंडली में बड़े दोष के बारे में बताते हैं जो रावण के वध की बड़ी वजह बनी थी।
प्रभु श्री राम की कुंडली कर्क लग्न की है तथा रावण की सिंह लग्न की है। दोनों के लग्न में विद्यमान बृहस्पति दोनों ही योद्धाओं की शक्तिशाली बनाता है। किन्तु राम का बृहस्पति लग्न में परमोच्च का है, जो उन्हें विशेष बना देता है। जबकि कुंडली में राहु की वजह से रावण की मति भ्रष्ट हुई थी तथा उसे राक्षस की श्रेणी में रखा गया था। लग्न में पंचमेश एवं दशमेश की युति भी है। हालांकि उच्च के शनि तथा बुध की वजह से रावण एक ज्ञानी, विद्वान तथा बहुत पराक्रमी योद्धा था, जिसे पराजय कर पाना शायद ही किसी के बस में हो।
हालांकि दोनों की कुंडली का योग देखा जाए तो भगवान श्री राम का बृहस्पति ही रावण पर भारी पड़ा तथा इसी की वजह से रावण विफल हुआ। उसके वध का भी ये बड़ा कारण था। लंका पर विजय प्राप्त करने के पश्चात् प्रभु श्री राम सीता को लेकर वापस अयोध्या लौट गए। रावण दहन के वक़्त पहले सीता माता और प्रभु श्री राम का स्मरण करना चाहिए। पुतला दहन के वक़्त प्रभु श्री राम का स्मरण करते हुए रावण के पुतले को जलता हुआ देखें। पुतला दहन हो जाने के पश्चात् देवी और श्री राम की आरती करें।