आज प्रथम पूजनीय भगवान गणेश को समर्पित गणेश चतुर्थी का त्योहार है। शुभ योग और मुहूर्त में घर-घर बप्पा विराजमान होंंगे। गणेश चतुर्थी का उत्सव प्रत्येक वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है।
शनिवार 22 अगस्त को गणेश चतुर्थी पर गणेश प्रतिमा स्थापित कर 10 दिनों का गणेश उत्सव आरंभ हो गया है। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को दोपहर स्वाति नक्षत्र और सिंह लग्न में हुआ था। वैसे तो हर महीने के शुक्ल और कृष्ण पक्ष पर गणेश चतुर्थी आती है लेकिन भाद्रपद महीने की गणेश चतुर्थी को भगवान गणेश का जन्म दिन मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी, कलंक चतुर्थी और डण्डा चौथ के नाम से भी जाना जाता हैं।
इस वर्ष गणेश चतुर्थी पर विशेष योग बन रहा है। 22 अगस्त को गणेश चतुर्थी पर सूर्य सिंह राशि में मौजूद रहेगा और मंगल मेष राशि में। ये दोनों ग्रह स्वयं की राशि में होंगे। गणेश चतुर्थी पर सूर्य और मंगल का ऐसा योग दोबारा 126 साल बाद बन रहा है।
सभी देवों में अग्रपूज्य माने गए भगवान गणेश का जन्मदिन को गणेशोत्सव को रूप में बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। श्रावण में बहुला गणेश जी तथा भादौं में ‘सिद्धिविनायक’ के रूप में इनकी पूजा की जाती है।
यही सिद्धि विनायक चतुर्थी 22 अगस्त को है। इस दिन भगवान गणेश की मिट्टी से बनी मूर्ति की पूजा की जाती है। भारतवर्ष के अलग-अलग राज्यों में भक्तगण अलग-अलग विधि से पूजन करते हैं।
यदि आपके पास मूर्ति खरीदने के पैसे ना हों या फिर इस समय कोरोना महामारी के चलते बाजार जाना संभव न हो तो आप किसी नदी, तीर्थ अथवा तालाब की मिट्टी लाकर उसमें दूध, दही, घी, शहद और शक्कर मिलाकर स्वयं मूर्ति का निर्माण कर सकते हैं और सोलह उपचार से इनकी आराधना करके इच्छित फल प्राप्त कर सकते हैं।