हर साल जम्मू-कश्मीर स्थित पवित्र गुफा में बाबा अमरनाथ के दर्शन के लिए अनेक श्रद्धालु आते हैं।
भगवान भोलेनाथ के अनेक रूप हैं। उनका यह स्वरूप अत्यंत पवित्र और मन को शांति देने वाला है। अमरनाथ धाम अनुपम तीर्थ है।
यह गुफा बहुत प्राचीन है और यहां मां पार्वती व शिवजी से एक खास प्रसंग जुड़ा है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान शिव ने इसी गुफा में मां पार्वती को अमरता का रहस्य और सृष्टि के सृजन की बातें बताई थीं।
चूंकि यह अमर कथा थी और जो भी असुर या प्राणी आदि उसे सुन लेता, वह हमेशा के लिए अमर हो जाता। अतः शिवजी ने एक ऐसे स्थान का चयन करना चाहा जो बिल्कुल निर्जन हो, ताकि दूसरा कोई इस कथा को न सुन सके।
इस गुफा में शिवजी मां पार्वती को कथा सुनाने लगे लेकिन गुफा पूरी तरह से खाली नहीं थी। वहां एक घोसले में कबूतर के बच्चे भी थे। पार्वती के साथ उन्होंने भी वह कथा सुन ली और वे अमर हो गए।
कहते हैं कि इस गुफा में कई श्रद्धालुओं को कबूतर के वे बच्चे दिखाई दिए हैं। इन्हें अमर पक्षी कहा जाता है और उनका दिखाई दिना सौभाग्य का सूचक होता है।
शिव के लिए सबकुछ संभव
इस गुफा का एक और आश्चर्य ठोस बर्फ से बनने वाला शिवलिंग है। गुफा की परिधि करीब डेढ़ सौ फुट है। इसके ऊपर से बर्फीले पानी की बूंदे टपकती हैं। इन्हीं से शिवलिंग का निर्माण होता है।
इस शिवलिंग का चंद्रमा से भी विशेष संबंध है। चंद्रमा के घटने के साथ शिवलिंग का आकार घटता रहता है। वहीं, श्रावण मास की पूर्णिमा को यह पूर्ण आकार में रहता है।
गुफा व आसपास के अन्य स्थानों पर गिरने वाली बर्फ भुरभरी होती है लेकिन इस शिवलिंग का ठोस बर्फ से निर्माण होना किसी आश्चर्य से कम नहीं है। श्रद्धालु इसे शिव का चमत्कार मानते हैं जिनके लिए कुछ भी असंभव नहीं है।
शिवलिंग से कुछ दूरी पर बर्फ से अन्य आकृतियां बनती हैं। इन्हें गणपति, मां पार्वती, भैरव और नंदी आदि कहा जाता है। मान्यता है कि सबसे पहले भृगु ऋषि ने इस शिवलिंग के दर्शन किए थे। तब से आज तक असंख्य लोग भगवान शिव के दर्शन कर चुके हैं।