श्रीहरी विष्णु की पत्नी देवी महालक्ष्मी धन, संपत्ति, वैभव तथा सुख की अधिष्ठात्री देवी हैं. इसके अलावा पौराणिक मतानुसार, देवी लक्ष्मी का जन्म समुद्रमंथन से हुआ था. समुद्र से उत्त्पन्न समस्त अमूल्य रत्न, जैसे शंख, मोती व कौड़ी की अधिष्ठात्री देवी महालक्ष्मी ही हैं. कौड़ी एक रत्न है जो की धन के समान ही मूल्यवान हैं. वही यदि बात की जाए तो प्राचीन काल में कौड़ी रत्न से ही व्यापार, क्रय-विकार इत्यादि का कार्य होता था. ज्योतिष कमल नंदलाल बता रहे हैं कि रोड़पति से कैसे बने अमीर. लेकिन उससे पहले जानते हैं कैसे आपका आने वाला कल होगा सुन्दर..
आने वाला कल कैसे हो सुंदर-
1. पानी में थोड़ा सा दही मिलकर स्नान करें.
2. नहाते समय लक्ष्मी-नारायण का ध्यान करें.
3. लक्ष्मी नारायण मंदिर में अथवा अपने घर के पूजाघर में लक्ष्मी-नारायण की पूजा करके उनपर गुलाबी फूल चढ़ाएं.
4. “श्रीं जगतप्रसूते नमः” मंत्र का जाप करें
5. लक्ष्मी-नारायण पर चढ़े चंदन से मस्तक पर तिलक करें
6. लक्ष्मी-नारायण पर चढ़ी खीर किसी कन्या को खिलाएं.
इससे आपके आपके बिज़नस में मुनाफा होगा, घर से पैसों का अभाव खत्म होगा और गरीबी समाप्त होगी. शब्द “कौड़ी” हमारे जीवन के कार्य-कलाप से जुड़ा है. व्यक्ति इसकी पूजा करता है. महिलाएं इसे पिरोकर आभूषणों की भांति पहनती है. तथा इससे जुआ भी खेला जाता है. हम आपको बताने जा रहे हैं कौड़ी का सही अर्थ और कौड़ी के साथ धन का कनेक्शन.
* कहावत है – “कौड़ियों के मोल” अर्थात बहुत कम वैल्यू में खरीदना – अर्थात कौड़ी का अर्थ है किसी की औकात.
* सनातन धर्म में किसी के नाम से पहले श्री, श्रीमती, श्रीमान, सुश्री लगते है|