तांत्रिक क्रियाओं की दृष्टि से होली का दिन विशिष्ट माना गया है। इसके साथ ही होली पर्व को तंत्र के अभिचार कर्म का प्रयोग करने के लिए विशिष्ट माना जाता है। वहीं तंत्र के अभिचार कर्म का आशय वशीकरण, मोहन, मारण, उच्चाटन, स्तम्भन एवं विद्वेषण से है। इसके साथ ही होली का पर्व तांत्रिक प्रयोगों से रक्षा हेतु शुभ मुहूर्त है।वहीं तांत्रिक अभिचार कर्मों से मुक्ति के लिए होली के दिन की गई साधनाएं एवं प्रयोग सरलता से सफल होते है। तंत्र शास्त्र के मुताबिक होली के दिन कुछ खास उपाय करने से मनचाहा काम हो जाता है। तंत्र क्रियाओं के लिए प्रमुख चार रात्रियों में से एक रात ये भी है।इसके साथ ही चूंकि ये पर्व पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इसलिए इस दिन हनुमानजी को प्रसन्न करने वाले टोटके विशेष रूप से किए जाते हैं। इस दिन हनुमानजी को तांत्रिक विधि से चोला चढ़ाने से हर बिगड़ा काम बन जाता है और साधक पर हनुमानजी की विशेष कृपा होती है। वहीं जानिए होली के दिन हनुमान जी को किस प्रकार चोला चढ़ाना चाहिए.
होली के दिन शाम के समय हनुमानजी को केवड़े का इत्र व गुलाब की माला चढ़ाएं। हनुमानजी को प्रसन्न करने का ये बहुत ही अचूक उपाय है। इस उपाय से हर मनोकामना पूरी हो जाती है। इसके अलावा होली के दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद बड़ के पेड़ से 11 या 21 पत्ते तोड़े लें।वहीं ध्यान रखें कि ये पत्ते पूरी तरह से साफ व साबूत हों। अब इन्हें स्वच्छ पानी से धो लें और इनके ऊपर चंदन से भगवान श्रीराम का नाम लिखें। इसके साथ ही अब इन पत्तों की एक माला बनाएं। माला बनाने के लिए पूजा में उपयोग किए जाने वाले रंगीन धागे का उपयोग करें। अब समीप स्थित किसी हनुमान मंदिर जाएं और हनुमान प्रतिमा को यह माला पहना दें। वहीं हनुमानजी को प्रसन्न करने का यह बहुत प्राचीन टोटका है। अगर आप पर कोई संकट है, तो होली के दिन नीचे लिखे हनुमान मंत्र का विधि-विधान से जप करेंः “ऊँ नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा”
जप विधिः सुबह जल्दी उठकर सर्वप्रथम स्नान आदि नित्य कर्म से निवृत्त होकर साफ वस्त्र पहनें। इसके बाद अपने माता-पिता, गुरु, इष्ट व कुलदेवता को नमन कर कुश (एक प्रकार की घास) के आसन पर बैठें। पारद हनुमान प्रतिमा के सामने इस मंत्र का जप करेंगे, तो विशेष फल मिलता है। जप के लिए लाल हकीक की माला का प्रयोग करें। होली के दिन तेल, बेसन और उड़द के आटे से बनाई हुई हनुमानजी की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा करके तेल और घी का दीपक जलाएं तथा विधिवत पूजन कर पूआ, मिठाई आदि का भोग लगाएं। इसके बाद 27 पान के पत्ते तथा सुपारी आदि मुख शुद्धि की चीजें लेकर इनका बीड़ा बनाकर हनुमानजी को अर्पित करें। इसके बाद इस मंत्र का जप करें- मंत्र- नमो भगवते आंजनेयाय महाबलाय स्वाहा। इसके अलावा फिर आरती, स्तुति करके अपने इच्छा बताएं और प्रार्थना करके इस मूर्ति को विसर्जित कर दें। इसके बाद किसी योग्य ब्राह्मण को भोजन कराकर व दान देकर ससम्मान विदा करें।