मां सीता के व्यक्तित्व और गुणों से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। मां सीता ने जीवन में काफी संघर्ष किया। विवाह के तुरंत बाद वनवास मिल गया और वनवास के दौरान रावण उन्हें अपहरण कर के ले गया।अयोध्या में वापसी के बाद अग्नि परिक्षा से गुजरना पड़ा। इतनी कठिन परिस्थितियों में भी मां ने कभी हार नहीं मानी और एक मिसाल कायम करी।
वनवास र्सिफ प्रभु श्री राम को मिला था परंतु मां सीता ने अपना पतिव्रता धर्म निभाते हुए महलों का सुख त्याग कर भगवान श्री राम के साथ वन जाने का निर्णय लिया और हर पल उनका साथ दिया। मां सीता ने एक बार भी नहीं सोचा वो वन में कैसे रहेंगी।
मां सीता सिर्फ गृहणी नहीं थी, वो भगवान श्री राम के साथ सभी कार्यों में उनका साथ दिया करती थी। वनवास के दौरान मां सीता और लक्ष्मण जी ने भगवान का पूरा साथ दिया।
रावण ने अपहरण कर मां सीता को अशोक वाटिका में रख था, जहां रावण ने माता सीता को हर तरह से परेशान करने की कोशिश की थी। परंतु मां सीता ने रावण को डटकर सामना किया। मां सीता को भगवान श्री राम पर भरोसा था कि वो आएंगे और उन्हें रावण के इस बंधन से छुड़ा लेंगे।
- हनुमान जी जब मां सीता के पास पहुंचे और उन्हें राम जी की अंगुठी दी तब मां सीता का विश्वास और बढ़ गया कि अब राम जी जल्दी आएंगे और उन्हें यहां से ले जाएंगे।
- मां सीता का विश्वास और बढ़ गया जब हनुमान जी ने अपनी शक्ति का परिचय मां सीता को दिया।