गायत्री मंत्र ‘ॐ भूर्भव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।’ इस मंत्र को वेदों में बड़ा ही चमत्कारी और फायदेमंद बताया गया है। इस मंत्र का जप आमतौर पर उपनयन संस्कार के बाद किया जाता है। इस मंत्र के बारे में 7 ऐसी बातें जानिए जो आपको बताएगा कि क्यों हर किसी को गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए।
वेदों की कुल संख्या चार है। इन चारों वेदों में गायत्री मंत्र का उल्लेख किया गया है। इस मंत्र के ऋषि विश्वामित्र हैं और देवता सविता हैं। माना जाता है कि इस मंत्र में इतनी शक्ति है कि नियमित तीन बार इसका जप करने वाले व्यक्ति के आस-पास नकारात्मक शक्तियां यानी भूत-प्रेत और ऊपरी बाधाएं नहीं फटकती हैं।
गायत्री मंत्र के अर्थ पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि इस मंत्र के जप से कई प्रकार का लाभ मिलता है। यह मंत्र कहता है ‘उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।’ यानी इस मंत्र के जप से बौद्धिक क्षमता और मेधा शक्ति यानी स्मरण की क्षमता बढ़ती है। इससे व्यक्ति का तेज बढ़ता है साथ ही दुःखों से छूटने का रास्ता मिलता है।
गायत्री मंत्र में चौबीस अक्षर हैं। यह चौबीस अक्षर चौबीस शक्तियों-सिद्धियों के प्रतीक हैं। यही कारण है कि ऋषियों ने गायत्री मंत्र को भौतिक जगत में सभी प्रकार की मनोकामना को पूर्ण करने वाला बताया है।
आर्थिक मामलों परेशानी आने पर गायत्री मंत्र के साथ श्रीं का संपुट लगाकर जप करने से आर्थिक बाधा दूर होती है। जैस ‘श्रीं ॐ भूर्भव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् श्री’।
छात्रों के लिए यह मंत्र बहुत ही फायदेमंद है। स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि गायत्री सद्बुद्धि का मंत्र है, इसलिऐ उसे मंत्रो का मुकुटमणि कहा गया है।” नियमित 108 बार गायत्री मंत्र का जप करने से बुद्धि प्रखर और किसी भी विषय को लंबे समय तक याद रखने की क्षमता बढ़ जाती है। यह व्यक्ति की बुद्धि और विवेक को निखारने का भी काम करता है।