सूर्य साधना से मिलता है सबकुछ

सृष्टि में सूर्य का बहुत ही बड़ा महत्व है। प्रकृति में उष्मा, उर्जा प्रकाश देने का कार्य सूर्य ही करते हैं। सौरमंडल सूर्य के इर्द गिर्द ही है। सूर्य की किरणें जब धरती पर पड़ती हैं तब सबेरा होता है। पृथ्वी के सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने से ऋतुऐं परिवर्तित होती हैं। कभी आपने सोचा है कि आपको सर्दी क्यों लगती है क्योंकि इस दौरान सूर्य देव हमारी धरती से काफी दूर हो जाते हैं। जी हां आदित्य उर्जा, बल, तेज, औज के देवता हैं। सूर्य के तेजस्वी मंत्रों का जाप करने से सूर्य नमस्कार करने से तेज, बल वीर्य और आयु की अभिवृद्धि होती है।

सूर्य देव को सुबह सबेरे अध्र्य देने से हमारे जीवन में सकारात्मकता आती है और एक विशेष आवरण का निर्माण होता है। इससे हमारे आसपास एक विशेष आवरण बनने लगता है और हमारी रक्षा होती है। भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के लिए स्नान करने के बाद एक तांबे के पात्र या लोटे में शुद्ध जल भरकर अध्र्य प्रदान करें। इस दौरान उं सूर्याय नमः का मंत्र जाप या मनन बेहद प्रभावी है।

यही नहीं सूर्य के अन्य नाम, उं. आदित्याय नमः, उं रवये नमः, उं भानवे नमः, आदि का जप करें। यदि आप गायत्री मंत्र का जप करेंगे तो यह बेहद फलदायी है। गायत्री मंत्र भी भगवान सूर्य का ही मंत्र है । दरअसल भगवान श्रीकृष्ण साक्षात् स्वयं को गायत्री और सविता सूर्य कहते हैं। इस अर्थ में यह साक्षात् आदि शक्ति आदि देव हैं। जो हर मनोकामना पूर्ण करते हैं।
सूर्यनमस्कार से मिलता है आरोग्य और समृद्धि का वरदान
सूर्य आराधना से होती है मनोकामना पूर्ण...

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