महाकाल की नगरी उज्जैन से प्रतिवर्ष सावन-भादौ के महीने में निकलने वाली शाही सवारी सोमवार को भी बड़ी धूमधाम से निकली। शवारी शाम करीब 4 बजे महाकालेश्वर मंदिर से शुरू हुई जो 6 KM लंबे मार्ग पर घूम कर वापस महाकाल मंदिर पर समाप्त हुई। उज्जैन के राजा महाकाल के दर्शन के लिए भक्तो का जमावड़ा लगा हुआ था और हर कोई महाकाल की एक झलक पाने के लिए बैचेन था। जब बाबा महाकाल अपनी नगरी में भ्रमण को निकले तो समूची सड़क देख कर ऐसी प्रतीत हो रही थी जैसे की दुल्हन की तरह सजाया हो ।
सवारी की परंपरा अनुसार सिंधिया स्टेट की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया रात 9.30 बजे गोपाल मंदिर चौक पर पालकी में महाकाल स्वरूप विराजे श्री चंद्रमौलेश्वर के मुघौटे का पूजन किया। सवारी शुरू होने से पूर्व महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में दोपहर करीब 3.30 बजे चंद्रमौलेश्वर के मुघौटे का परंपरा अनुसार संभागायुक्त डॉ. रवींद्र पस्तौर ने पूजन किया। शाम 4.00 बजे मंदिर से महाकाल की पालकी उठी और महाकाल पुलिस चौकी के मुख्य प्रवेश द्वार पर सशस्त्र जवानों की सलामी के बाद राजाधिराज महाकाल चांदी की पालकी में सवार होकर संपूर्ण राजसी वैभव एवं लाव-लश्कर के साथ शाही सवारी के रूप में प्रजा का हाल जानने निकले।
महाकाल की शाही सवारी के मौके पर उज्जैन प्रशाशन ने सोमवार को शासकीय अवकाश घोषित किया था जिसमे की सभी स्कूल और कार्यालय बंद थे, सवारी के मौके पर प्रमुख मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश बंद था। ढोल नगाड़ो के साथ बड़ी धूमधाम से लोगो ने शाही सवारी का आन्नद लिया। ऐसा माना जाता है की इस शाही सवारी में शामिल होने मात्र से ही लोगो को के कष्ट मिट जाते है।