श्रीकृष्ण की राधा थी या रुक्मणी

भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं को कोई अंत नहीं है इस संसार सागर में भगवान ने अपनी इतनी लीलाओं का प्रस्तुतीकरण किया है कि कई बार हम भ्रमित भी हो जाते है. इसी के चलते कई बार लोग यह समझते है. राधा -कृष्ण नाम से यही जानते है कि राधा और कृष्ण पति और पत्नी रूप में है .

पर जब हम भागवत महापुराण में सुनते है तो वहां कृष्ण का रुक्मणी से विवाह का प्रसंग सामने आता है. भगवान की इस प्रकार की और भी लीलाओं को हम समझ ही नहीं पाते . अब आप जान सकते है की रुक्मणी और राधा में क्या अंतर है – श्रीकृष्ण के तत्व दर्शन रुक्मणी को देह और राधा को आत्मा माना गया है। श्रीकृष्ण का रुक्मणी से दैहिक और राधा से आत्मिक संबंध माना गया है।

रुक्मणी और राधा का दर्शन बहुत गहरा है। इसे सम्पूर्ण सृष्टि के दर्शन से जोड़कर देखें तो सम्पूर्ण जगत की तीन अवस्थाएं हैं। जोकि क्रमश: स्थूल, सूक्ष्म, कारण हैं। राधा आदि शक्ति है और उन्हीं में ही कृष्ण समाये है .राधा शक्ति बिना न कोई कृष्ण के दर्शन पाये . स्थूल जो दिखाई देता है जिसे हम अपने नेत्रों से देख सकते हैं और हाथों से छू सकते हैं वह कृष्ण-दर्शन में रुक्मणी कहलाती हैं।

सूक्ष्म जो दिखाई नहीं देता और जिसे हम न नेत्रों से देख सकते हैं न ही स्पर्श कर सकते हैं, उसे केवल महसूस किया जा सकता है वही राधा है और जो इन स्थूल और सूक्ष्म अवस्थाओं कारण है वह हैं श्रीकृष्ण और यही कृष्ण इस मूल सृष्टि का चराचर हैं। राधा आदि शक्ति है इनका नाम लेने से कृष्ण भी दौड़े चले आते है.राधा में कृष्ण और कृष्ण में राधा समाये है .

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