यह हम सभी जानते हैं कि शनि ग्रह न्याय के देवता हैं। शनि लोगों को उनके कर्मों के मुताबिक फल देते हैं। इसलिए ज्योतिष में इन्हें कर्मफलदाता माना गया है। ये मकर और कुंभ के स्वामी हैं। शनि तुला में उच्च और मेष राशि में नीच भाव में होते हैं। कुंडली में शनि की महादशा 19 वर्ष की होती है। शनि की चाल सभी ग्रहों में से सबसे धीमी है।
क्या होती है शनि की साढ़े साती:
शनि का गोचर जब आपकी जन्म कुंडली में बैठे चंद्रमा से बारहवें भाव में हो तो समझिए आपकी साढ़े साती शुरु हो गई है। इसका असर सात वर्षों तक आपके जीवन पर पड़ेगा। बारहवें भाव में यह ढाई वर्ष तक रहेगा, जो आपकी साढ़े साती का प्रथम चरण होगा। साढ़े साती के दूसरे चरण में शनि आपके लग्न भाव में ढाई साल तक बैठेगा। फिर इसी क्रम में अपने तीसरे और आखिरी चरण में यह आपके दूसरे भाव में ढाई साल तक रहेगा।
साढ़े साती और शनि ढैय्या के उपाय
# शनिवार को भगवान शनि की पूजा करें। किसी अच्छे ज्योतिष के परामर्श से नीलम रत्न पहनें। हनुमान जी की पूजा-आराधना करें।
# महा मृत्युंजय मंत्र को पढ़ते हुए भगवान शिव की पूजा करें। काला चना, सरसों का तेल, लोहे का सामान एवं काली वस्तुओं का दान करें। शनिवार सरसों या तिल के तेल को शनि देव पर चढ़ाएं।