हिंदू सभ्यता में श्रंगार को ही स्त्रियों का सौभाग्य माना जाता है। वैसे ही माँ अम्बे को भी श्रंगार बहुत पसंद है। माँ को विभिन्न प्रकार का श्रंगार अर्पित करने से माँ अपने भस्क्तो पर प्रसन्न होती है। और जीवन में होने वाले विभिन्न प्रकार के कष्टो से माँ सहायता करती है। और अपने भक्तो पर दया दृष्टि बरसाती है। माँ को विभिन्न प्रकार के आभूषण भेट करना चाहिए
माँ अम्बे को चुनरी अधिक लुभाती है। माँ को लाल चुनरी अत्यंत प्रिय है। इसलिए पूजा में हमें लाल रंग की चुनरी माँ को भेट करनी चाहिए। साथ ही पिली रंग की चुनरी भी माँ को लुभाती है। सिंदूर को सुहागन अपने पति का वरदान कहती है। सिंदूर ही सुहागनों की निशानी है, व उनकी सुख समृद्धि का प्रतीक होता है। माँ को सिंदूर चढ़ाने से माँ प्रसन्न होती है। लाल रंग माँ को अति प्रिय होता है इसलिए माँ को लाल कुमकुम चढ़ाने से माँ अपने भक्तो पर दया की दृष्टि रखती है।
देवी माँ को मेहंदी चढ़ाने से घर में सुख समृद्धि आती है। मेहंदी को सुहाग का प्रतीक माना जाता है। जब हम पूजा करते है तो माँ को प्रत्यक्ष समझा जाता है। जिस कारण माँ को आइना दिखाया जाता है। माँ को आइना दिखाने से माँ के प्रति भक्तो की आस्था और भी अटूट व शक्तिशाली होती है। कहा जाता है की माँ को आइना दिखाने से माँ अपने श्रगार को देखती है। बिंदिया के बगैर शृंगार अधूरा रहता है।इसलिए माँ को लाल रंग की बिंदिया भी भेट करनी चाहिए। माँ के केश को सवारने के लिए माँ को कछ के साथ ही एक कंघी भी समर्प्रित करना चाहिए। माँ को कई प्रकार के आभूषण भी समर्प्रित करना चाहिए जिससे माँ अपने भक्तो पर हमेशा प्रसन्न रहे।