प्रकृति में भगवान आदित्य साक्षात् परम पिता का प्रकाश पुंज स्वरूप है। सूर्य देव हमारे हर कार्य के साक्षी होते हैं। ऐसे में भगवान सूर्य को नमन करके कोई भी कार्य करने से सफलता मिलती है। भगवान सूर्य को विस्वान भी कहा जाता है। माना जाता है कि हम वैवस्वत मनु की संतान हैं अर्थात् हम मानव सूर्य देव की ही संतान हैं। ऐसे में अपने पिता की आराधना सभी सुखों को प्रदान करती है। भगवान सूर्य हमारा पौषण करते हैं वे सृष्टि मे वर्षा के कारक हैं।
यही नहीं वे हमारे लिए ऊर्जा का एक बड़ा स्त्रोत हैं। भगवान की आराधना करने से हमें यश, सुख, समृद्धि और एश्वर्य के साथ सभी संपदाओं की प्राप्ति होती है। भगवान का पूजन करने के लिए सूर्य को अध्र्य देने की विधि बहुत उत्तम होती है। इसके अलावा सूर्य नमस्कार की 12 विधियां और आसन भी भगवान सूर्य की शक्ति प्रदान करते हैं। इससे भगवान सूर्य प्रसन्न होते हैं और हमारे शरीर में मौजूद सूर्य मंडल जागृत हो जाता है। इससे हमें एक अलग ही चेतना प्राप्त होती है। जो कि हमारे लिए बहुत उपयोगी होती है।
भगवान सूर्य ज्योतिषीय मान्यताओं में प्रधान माने गए हैं। इनकी कृपा से सभी ग्रहों का शुभ प्रभाव बढ़ता है और अशुभ प्रभाव क्षीण होता है। सूर्य की आराधना से कीर्ती हर ओर फैलती है। सूर्य की आराधना करने के लिए ऊं घृणी सूर्याय नमः मंत्र का जप करना बहुत ही श्रेष्ठ माना जाता है।