भगवान सूर्य जिनके स्मरण मात्र से ही मन में उत्साह छाने लगता है। जो असीम उर्जा, तेज और आरोग्य प्रदान करते हैं। ऐसे भगवान आदित्य को प्रसन्न करने के लिए रविवार का दिन सबसे उपयुक्त है। जी हां, रविवार का दिन भगवान सूर्य का ही होता है। भगवान को प्रसन्न करने के लिए इस दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर सूर्य को तांबे के कलश में अध्र्य देना अधिक अच्छा है।
सूर्य को अध्र्य देते समय यह ध्यान रखना होगा कि अध्र्य देने वाले जल में लाल कुमकुम डाल दिया जाए तो इससे सूर्य को अध्र्य देने का प्रभाव ही अलग होता है। यही नहीं भगवान को अध्र्य देते समय उनके विभिन्न नामों का मनन किया जा सकता है। इस दौरान सप्ताश्वस्थमारूढ़ प्रचण्ड कश्यपात्मजम्, श्वेतपद्यधरं, देवं तं सूर्य प्रणमाम्यहम्। के साथ उं घृणि सूर्याय नमः मंत्र का मनन किया जा सकता है।
इससे भगवान सूर्य प्रसन्न होकर समृद्धि, एश्वर्य और कीर्ति प्रदान करते हैं। यही नहीं रविवार के दिन सूर्य यंत्र की विधिवत स्थापना की जा सकती है। सूर्य यंत्र के छाया यंत्र और माया यंत्र बहुत प्रभावी होते हैं। इन यंत्रों की दोनों शक्तियों का पूजन करने से सकारात्मक उर्जा का निर्माण होता है और हमें शक्ति मिलती है। पूजन के दौरान इसे शुद्ध जल से अभिषेक कर दूध, पंचामृत और जल से अभिषेक कर कुमकुम, अष्ट गंध, अक्षत और चांवल समर्पित कर लालपुष्प् अर्पित किया जाता है। सूर्य उपासना के दौरान इस यंत्र को सामने रखकर पूजन करने से छाया और माया शक्ति कार्य करती है। इस उपासना में उं छायाय नमः, उं मायाय नमः, का उच्चारण किया जाए तो भगवान सूर्य प्रसन्न होते हैं।