चैत्र नवरात्र दिनांक 6 अप्रैल 2019, शनिवार को प्रारंभ हो रहा है। इसी दिन प्रतिपदा और द्वितीया है अत: नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापन कर मां शैलपुत्री और मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाएगी। इन्हीं 9 दिन में माता दुर्गा की पूजा अर्चना करके उन्हें प्रसन्न किया जाता है। माता अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं तथा मनोवांछित फल की प्राप्ति करती हैं। नवरात्रि में दो रितुओं का मिलन होता है।![](https://www.shreeayodhyajisss.com/wp-content/uploads/2019/04/kalash_2017091316141977_650x.jpg)
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मुख्य रूप से साल में दो नवरात्र आती हैं जिसमें से चैत्र नवरात्र एवं आश्विन नवरात्र होती है। चैत्र नवरात्रि गर्मियों के मौसम की शुरूआत में आती है जिसमें उपवास रख कर मां को याद किया जाता है।
कलश स्थापना का सबसे श्रेष्ठ मुहूर्त-
दिन में 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 49 मिनट के बीच अभिजीत मुहूर्त है। लेकिन इस समय कर्क लग्न है। यह चर राशि है। अतः कलश स्थापना का बहुत शुभ मुहूर्त नहीं माना जा सकता है। अतः प्रातः 06 बजकर 09 मिनट से 10 बजकर 21 मिनट तक कलश स्थापना का सबसे श्रेष्ठ मुहुर्त है। इसके पीछे कारण यह है कि इस समय द्विस्वभाव मीन लग्न रहेगा।
जानें किस दिन होगी किस देवी की पूजा
6 अप्रैल- पहला नवरात्र : घट स्थापन व मां शैलपुत्री पूजा,
मां ब्रह्मचारिणी पूजा
7 अप्रैल- दूसरा नवरात्र:
मां चंद्रघंटा पूजा
मां चंद्रघंटा पूजा
8 अप्रैल- तीसरा नवरात्र:
मां कुष्मांडा पूजा
मां कुष्मांडा पूजा
9 अप्रैल- चौथा नवरात्र: मां स्कंदमाता पूजा
10 अप्रैल- पांचवां नवरात्र: पंचमी तिथि सरस्वती आह्वाहन
11 अप्रैल- छष्ठ नवरात्र : मां कात्यायनी पूजा
12 अप्रैल- सातवां नवरात्र: मां कालरात्रि पूजा
13 अप्रैल- अष्टमी नवरात्र: महागौरी पूजा
14 अप्रैल- नवमी:
सिद्धि दात्री माता
सिद्धि दात्री माता
मां दुर्गा की आराधना आपके हर दुख को मिटाती है और आर्थिक परेशानियों को भी दूर करती है। इसलिए भक्तों को नवरात्र में अष्टमी और नवमी का मौका नहीं गंवाना चाहिए।