गुरुवार को पूजा के समय जरूर करें ये आरती

जगत के पालनहार भगवान विष्णु को कई नामों से जाना जाता है। इनमें एक नाम जनार्दन (Lakshmi Narayan) है। इसका अभिप्राय यह है कि भगवान विष्णु चराचर के रक्षक हैं। उनकी कृपा से संपूर्ण सृष्टि गतिशील है। चराचर के स्वामी भगवान विष्णु के शरण में रहने से व्यक्ति विशेष को भूलोक पर सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।

सनातन धर्म में गुरुवार के दिन जगत के नाथ भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त गुरुवार का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु और सुख-सौभाग्य में वृद्धि के लिए करते हैं। वहीं, अविवाहित लड़कियां शीघ्र विवाह के लिए गुरुवार का व्रत करती हैं। ज्योतिषियों की मानें तो कुंडली में गुरु मजबूत होने से अविवाहित लड़कियों की शीघ्र शादी हो जाती है। साथ ही मनचाहा जीवनसाथी मिलता है।

अतः विवाहित महिलाएं और अविवाहित लड़कियां गुरुवार के दिन ब्रह्म बेला में उठाकर स्नान आदि से निवृत्त होकर विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। इस समय केले के पौधे को जल का अर्घ्य देते हैं। इसके बाद केले के पौधे के पास बैठकर भगवान विष्णु एवं बृहस्पति देव की पूजा करती हैं। अगर आप भी भगवान विष्णु की कृपा के भागी बनना चाहती हैं, तो गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की श्रध्दा भाव से पूजा करें। इस समय भगवान विष्णु को पीले रंग के फल, फूल, वस्त्र, हल्दी, केसर, गुड़ और चने की दाल आदि अर्पित करें। पूजा के समय विष्णु चालीसा का पाठ और मंत्रों का जप करें। वहीं, पूजा के अंत में विष्णु जी के ये आरती जरूर करें।

श्री लक्ष्मीनारायण आरती

जय लक्ष्मी-विष्णो।

जय लक्ष्मीनारायण, जय लक्ष्मी-विष्णो।

जय माधव, जय श्रीपति, जय, जय, जय विष्णो॥

जय लक्ष्मी-विष्णो…

जय चम्पा सम-वर्णेजय नीरदकान्ते।

जय मन्द स्मित-शोभेजय अदभुत शान्ते॥

जय लक्ष्मी-विष्णो…

कमल वराभय-हस्तेशङ्खादिकधारिन्।

जय कमलालयवासिनिगरुडासनचारिन्॥

जय लक्ष्मी-विष्णो…

सच्चिन्मयकरचरणेसच्चिन्मयमूर्ते।

दिव्यानन्द-विलासिनिजय सुखमयमूर्ते॥

जय लक्ष्मी-विष्णो…

तुम त्रिभुवन की माता,तुम सबके त्राता।

तुम लोक-त्रय-जननी,तुम सबके धाता॥

जय लक्ष्मी-विष्णो…

तुम धन जन सुखसन्तित जय देनेवाली।

परमानन्द बिधातातुम हो वनमाली॥

जय लक्ष्मी-विष्णो…

तुम हो सुमति घरों में,तुम सबके स्वामी।

चेतन और अचेतनके अन्तर्यामी॥

जय लक्ष्मी-विष्णो…

शरणागत हूँ मुझ परकृपा करो माता।

जय लक्ष्मी-नारायणनव-मन्गल दाता॥

जय लक्ष्मी-विष्णो…

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 गुरुवार के दिन अवश्य करें भगवान बृहस्पति की पूजा

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