प्रदोष व्रत पर मुख्य रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। हर माह में दो बार प्रदोष व्रत किया जाता है, एक बार शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर और दूसरी बार कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर। ऐसे में आप ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले भौम प्रदोष व्रत पर सुबह के समय श्री सूर्य स्तुति का पाठ करके भगवान शिव की असीम कृपा के पात्र बन सकते हैं। तो चलिए पढ़ते हैं श्री सूर्य स्तुति।
प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Bhaum Pradosh Vrat Shubh muhurat)
ज्येष्ठ माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 03 जून को रात 10 बजकर 48 मिनट पर हो रही है, जो 04 जून को रात 08 बजकर 31 मिनट तक रहने वाली है। ऐसे में ज्येष्ठ माह का पहला प्रदोष व्रत 04 जून, मंगलवार के दिन किया जाएगा। भौम प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त शाम 05 बजकर 44 से 08 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। मंगलवार के दिन पड़ने के कारण इसे भौम प्रदोष व्रत के कहा जाएगा है, जिस पर हनुमान जी की पूजा का भी विधान है।
। श्री सूर्य स्तुति ।।
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन ।।
त्रिभुवन-तिमिर-निकन्दन, भक्त-हृदय-चन्दन॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
सप्त-अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।
दु:खहारी, सुखकारी, मानस-मल-हारी॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
सुर-मुनि-भूसुर-वन्दित, विमल विभवशाली।
अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
सकल-सुकर्म-प्रसविता, सविता शुभकारी।
विश्व-विलोचन मोचन, भव-बन्धन भारी॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
कमल-समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।
सेवत साहज हरत अति मनसिज-संतापा॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
नेत्र-व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा-हारी।
वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।
हर अज्ञान-मोह सब, तत्त्वज्ञान दीजै॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।