परशुराम जी (Parshuram Jayanti 2024) का जन्म तृतीया तिथि को प्रदोष काल में हुआ था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उनका जन्म अधर्मी पापी और क्रूर राजाओं का नाश करने के लिए हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने पृथ्वी से 21 बार क्षत्रियों का विनाश भी किया था। हालांकि भगवान परशुराम एक ब्राह्मण थे जिनमें क्षत्रियों के गुण थे।
सनातन धर्म में परशुराम जयंती बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसी दिन अक्षय तृतीया भी मनाई जाती है और यह शुभ दिन भगवान परशुराम के जन्म का प्रतीक है। उन्हें श्री हरि का छठा अवतार माना जाता है। परशुराम जयंती वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस बार यह 10 मई, 2024 यानी आज मनाई जाएगी।
परशुराम जयंती 2024 डेट और समय
तृतीया तिथि की शुरुआत 10 मई, 2024 दिन शुक्रवार सुबह 04 बजकर 17 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 11 मई, 2024 दिन शुक्रवार 02 बजकर 50 मिनट पर होगा। बता दें, इस दौरान ही लोग भगवान परशुराम की पूजा करेंगे।
परशुराम जयंती 2024 का धार्मिक महत्व
परशुराम जयंती हिंदुओं के बीच एक बड़ा धार्मिक महत्व रखती है, क्योंकि यह दिन भगवान श्री परशुराम के जन्म का प्रतीक है। परशुराम जी का जन्म तृतीया तिथि को प्रदोष काल में हुआ था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, उनका जन्म अधर्मी, पापी और क्रूर राजाओं का नाश करने के लिए हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने पृथ्वी से 21 बार क्षत्रियों का विनाश भी किया था।
हालांकि भगवान परशुराम एक ब्राह्मण थे, जिनमें क्षत्रियों के गुण थे। यह भी माना जाता है कि परशुराम अष्ट चिंरंजीवी में से एक हैं और आज भी पृथ्वी पर हैं। जानकारी के लिए बता दें, भारत के कई पश्चिमी तट पर परशुराम जी के मंदिर स्थित हैं।
परशुराम पूजन मंत्र
1. ॐ रां रां ॐ रां रां परशुहस्ताय नम:।।
2. ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्।।
3. ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्न: परशुराम: प्रचोदयात्।।