कब और कैसे करें नवरात्र व्रत का पारण?

नवरात्र व्रत बेहद पवित्र माना गया है। इस दौरान व्रती कुछ खाद्य पदार्थों और आदतों का त्याग करते हैं। इस उपवास से शरीर आत्मा और मन शुद्ध होता है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग श्रद्धाभाव के साथ व्रत रखते हैं और इसके सभी नियमों का पालन करते हैं उन्हें अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है।

नवरात्र का पर्व बेहद शुभ और कल्याणकारी माना जाता है। इस महापर्व का अर्थ है कि नौ दिन और नौ रातों तक माता दुर्गा की पूजा करना। यह पावन समय देवी भक्तों के लिए बहुत ही खास होता है। इस दौरान साधक भाव के साथ माता रानी के लिए व्रत रखते हैं और उनकी विभिन्न तरीकों से पूजा करते हैं। अगर आप भी चैत्र नवरात्र का व्रत रख रहे हैं, तो आपको इस व्रत का महत्व जरूर जान लेना चाहिए।

नवरात्र व्रत का महत्व

नवरात्र व्रत का बड़ा धार्मिक महत्व है। इस दौरान व्रती कुछ खाद्य पदार्थों और आदतों का त्याग करते हैं। इस उपवास से शरीर, आत्मा और मन शुद्ध होता है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग श्रद्धाभाव के साथ व्रत रखते हैं और इसके सभी नियमों का पालन करते हैं उन्हें अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है।

व्रत का पारण कब करें?

नवरात्र के नौवें दिन, जिसे नवमी के नाम से जाना जाता है इस दिन लोग आम तौर पर कन्या पूजन और देवी की विशेष आराधना करके अपने व्रत का पारण करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो प्रसाद माता रानी को भोग में अर्पित किया गया हो उसे ही पारण समय के अनुसार ग्रहण करना चाहिए। इससे नवरात्र व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।

व्रत पारण के नियम

  • नवमी के दिन पवित्र स्नान करें।
  • देवी दुर्गा की विधि अनुसार पूजा करें।
  • पारण समय के अनुसार व्रत का पारण करें।
  • माता रानी के प्रसाद से ही व्रत खोलें।
  • फल, भीगे हुए मेवे या दही जैसे आसानी से पचने वाले पदार्थों के साथ व्रत को धीरे-धीरे तोड़ें।
  • भारी भोजन, तले हुए भोजन या बहुत मसालेदार किसी भी चीज को खाने से बचें।
  • अपने शरीर की सुनें और अगले कुछ दिनों में धीरे-धीरे खुराक का आकार बढ़ाएं।
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