पति की दीर्घायु के लिए किया जाता है गणगौर व्रत

चैत्र माह की तृतीया तिथि के दिन गणगौर व्रत किया जाता है। इस दिन मां पार्वती और भगवान शिव की उपासना करने से भक्तों को शुभ फल की प्राप्ति होती है। यह व्रत मां पार्वती को समर्पित है। इस पर्व को विशेषकर राजस्थान में अधिक मनाया जाता है। इस खास अवसर पर सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु और परिवार में सुख-शांति के लिए गणगौर व्रत करती हैं।

हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर व्रत किया जाता है। यह व्रत मां पार्वती को समर्पित है। इस पर्व को विशेषकर राजस्थान में अधिक मनाया जाता है। इस खास अवसर पर सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु और परिवार में सुख-शांति के लिए गणगौर व्रत करती हैं और देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं। इसके अलावा कुवारी कन्याएं भी मनचाहा वर की प्राप्ति के लिए व्रत करती हैं। आइए आपको इस आर्टिकल में बताएंगे कि गणगौर व्रत की डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।

गणगौर व्रत डेट 2024 और शुभ मुहूर्त

चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 10 अप्रैल को शाम 05 बजकर 32 मिनट से होगी और इसका समापन 11 अप्रैल को दोपहर 03 बजे होगा। सनातन धर्म में उदया तिथि का विशेष महत्व है। ऐसे में गणगौर व्रत 11 अप्रैल को किया जाएगा। गणगौर व्रत के दिन सुबह 06 बजकर 29 मिनट से लेकर 08 बजकर 24 मिनट तक पूजा करने का शुभ मुहूर्त है।

गणगौर व्रत पूजा विधि (Gangaur Vrat Puja Vidhi)

  • गणगौर व्रत में ब्रह्म मुहूर्त में उठें। इसके बाद देवी-देवता के ध्यान से दिन की शुरुआत करें।
  • इसके बाद स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें और सोलह श्रृंगार करें।
  • अब भगवान शिव और मां पार्वती की मिट्टी से प्रतिमा बनाएं।
  • उन्हें एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर विराजमान करें।
  • इसके पश्चात भगवान शिव और मां पार्वती को चंदन, रोली और अक्षत अर्पित करें।
  • मां पार्वती को सोलह श्रृंगार की चीजें चढ़ाएं।
  • अब दीपक जलाकर गणगौर माता की आरती करें और व्रत का संकल्प लें।
  • अंत में विशेष चीजों का भोग लगाकर लोगों में प्रसाद का वितरण करें।
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