गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को अति प्रिय है। इस दिन श्री हरि और धन की देवी मां लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि अगर गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा विधिपूर्वक की जाए तो वे प्रसन्न होकर इंसान की सभी इच्छाएं पूरी करते हैं। चलिए जानते हैं कि गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा किस तरह करनी चाहिए।
गुरुवार का दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन श्री हरि की विशेष पूजा की जाती है और फल-मिठाई का भोग लगाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से साधक के जीवन में खुशियों का आगमन होता है और श्री हरि की कृपा प्राप्त होती है। ऐसा माना जाता है कि अगर गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा विधिपूर्वक की जाए, तो वे प्रसन्न होकर इंसान की सभी इच्छाएं पूरी करते हैं। चलिए जानते हैं कि गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा किस तरह करना कल्याणकारी होता है।
ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा
- गुरुवार के दिन ब्रम्हा मुर्हुत में उठें और दिन की शुरुआत श्री हरि के ध्यान से करें।
- अब स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें।
- सूर्य देव को जल अर्पित करें।
- एक चौकी पर पीला या लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
- अब भगवान का ध्यान कर व्रत का संकल्प लें।
- भगवान विष्णु को फूल अर्पित करें और चंदन लगाएं।
- अब सच्चे मन से आरती करें और विष्णु चालीसा, मंत्रों का जाप करें।
- खीर, मिठाई और फल का भोग लगाएं। भोग में तुलसी दल को अवश्य शामिल करें।
- इस दिन आप अपनी श्रद्धा अनुसार गरीब लोगों को विशेष चीजों का दान कर सकते हैं।
- फिर दिनभर फलाहार व्रत रखें और शाम को पीले रंग का भोजन ग्रहण कर लें।
भगवान विष्णु जी की आरती
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे।
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे।
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे।