सनातन धर्म में पूजा-पाठ, दान-पुण्य को विशेष महत्व दिया गया है। ऐसा कहा जाता है कि अगर आप किसी की मदद करते हैं, तो इससे आपके जीवन के सारे पापों का नाश हो जाता है। ऋग्वेद के अनुसार, दान करना किसी यज्ञ से कम नहीं होता है। हालांकि कई लोग आर्थिक तंगी या किसी वजह से ऐसा करने में असमर्थ होते हैं, जबकि कहा जाता है कि दान हमेशा अपनी क्षमता के अनुसार करना चाहिए।
ये जरूरी नहीं कि दान बहुमूल्य वस्तुओं का ही किया जाए। बता दें, दान करने से कभी न समाप्त होने वाले फल की प्राप्ति होती है। तो आइए दान के नियमों के बारे में जानते हैं –
दसवां अंश करें दान
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार व्यक्ति को अपनी कमाई का दसवां अंश दान करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि अपनी कमाई का दसवां हिस्सा किसी की भी मदद में या दान-पुण्य में लगाना चाहिए, जो किसी के काम आ सके, लेकिन दान करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि घर में सभी को मंजूरी हो, क्योंकि बिना क्लेश का दान ही शुभ माना जाता है।
दान का सही नियम
- दान करते समय मन साफ होना चाहिए।
- दान अपनी इच्छा से ही होना चाहिए।
- यदि गाय, ब्राह्मण या फिर किसी ऐसे व्यक्ति जिसे आपकी सहायता की जरूरत है, तो उसमें रोक-टोक किए जाने पर मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
- तिल, कुश, जल और चावल का दान बेहद लाभकारी माना गया है।
- दान करते समय हमेशा अपना चेहरा पूर्व दिशा की ओर रखें।
- गाय, सोना, चांदी, तिल, कन्या, हाथी, घोड़ा, वस्त्र, भूमि, विद्या, अन्न, दूध, छाता आदि का दान महादान माना जाता है।