हिंदू धर्म में मासिक कालाष्टमी के व्रत को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान शिव के सबसे उग्र रूपों में से एक भगवान भैरव की पूजा का विधान है। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त इस दिन का उपवास रखते हैं और भैरव बाबा की पूजा करते हैं उन्हें भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।
इस दिन ‘काल भैरव अष्टक’ (Kaal Bhairav Ashtak Stotra) का पाठ करना भी बेहद शुभ माना जाता है। फाल्गुन माह में यह व्रत 3 मार्च, 2024 दिन रविवार यानी आज रखा जाएगा।
”काल भैरव अष्टक”
देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं
व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम्।
नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं
नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम्।
कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
शूलटङ्कपाशदण्डपाणिमादिकारणं
श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम्।
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं
भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम्।
विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशकं
कर्मपाशमोचकं सुशर्मदायकं विभुम्।
स्वर्णवर्णशेषपाशशोभिताङ्गमण्डलं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं
नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम्।
मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं
दृष्टिपातनष्टपापजालमुग्रशासनम्।
अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं
काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम्।
नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
मासिक कालाष्टमी का महत्व
मासिक कालाष्टमी का व्रत सनातन धर्म में बेहद पवित्र माना जाता है। इस दिन काल भैरव की कई प्रकार से पूजा होती है, जो शिव जी का स्वरूप हैं। बता दें, भैरव बाबा भगवान शिव का उग्र रूप हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त पूरे समर्पण और भाव के साथ उनकी पूजा करते हैं, उन्हें बुरी ऊर्जा से छुटकारा मिलता है।
साथ ही जीवन से सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती हैं। यही वजह है कि इस दिन का उपवास बहुत कल्याणकारी होता है।