फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। इस दिन का शिव भक्तों को बेसब्री से इंतजार होता है। महाशिवरात्रि का त्योहार हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है। यह भगवान शिव और देवी शक्ति के मिलन का प्रतीक है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त किसी बड़ी समस्या से घिरे हुए हैं उन्हें इस दिन का उपवास जरूर करना चाहिए। वहीं इस दिन के व्रत को लेकर कुछ नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन करना जरूरी है। तो आइए जानते हैं –
महाशिवरात्रि व्रत नियम
- शिवरात्रि का उपवास भोर से शुरू होता है। व्रत का समापन अगले दिन पारण समय के दौरान ही करना चाहिए।
- महाशिवरात्रि व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करना चाहिए।
- शिवरात्रि के दौरान रात्रि जागरण करना चाहिए, इससे व्रत का फल दोगुना हो जाता है।
- उपवास के दौरान भोजन और नमक से परहेज करना चाहिए।
- दूध, पानी और फलों का सेवन व्रती कर सकते हैं।
- व्रत का सबसे महत्वपूर्ण पहलू बुरे विचारों, बुरी संगति और बुरे शब्दों से दूर रहना है।
- व्रतियों को सद्गुणों का अभ्यास करना चाहिए और सभी बुराइयों से दूर रहना चाहिए।
- इस दिन भगवान शिव के नामों का जप करना और उनके मंदिर जाना शुभ माना जाता है।
- इस पवित्र दिन व्रतियों को भगवान शंकर की महिमा सुनना और सुनाना चाहिए।
- इस दिन सभी प्रकार की तामसिक चीजों के सेवन से बचना चाहिए।
- शिवरात्रि के दिन व्रतियों को मन शांत रखना चाहिए।
महाशिवरात्रि पर करें इन मंत्रों का जाप
- ॐ नम: शिवाय।
- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
- शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।।ईशानः सर्वविध्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रम्हाधिपतिमहिर्बम्हणोधपतिर्बम्हा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम।।