प्राचीन वैदिक परंपराओं की बात की जाए, तो इसमें ब्रह्म मुहूर्त को विशेष माना गया है। ब्रह्म मुहूर्त सूर्योदय से पहले का समय है। यह सूर्योदय से लगभग 1 घंटा 36 मिनट पहले शुरू होता है, जो मौसमों के अनुसार, बदलता भी रहता है।इस दौरान लोग उठकर भगवान की पूजा-अर्चना, आध्यात्मिक अभ्यास, ध्यान और साधना करते हैं। आइए इस महत्वपूर्ण समय के बारे में जानते हैं –
रात का आखिरी पहर ब्रह्म मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त का समय सूर्योदय के अनुसार बदलता रहता है। ब्रह्म मुहूर्त रात का आखिरी पहर होता है, इस पहर के दौरान दुनिया भर के लोग सुबह के सूरज की पूजा करते हैं। यह रचनाकार का समय है और इस प्रकार यह अपार ऊर्जा का स्रोत है।
यही वजह है कि लोगों को इस दौरान पूजा-पाठ और अच्छा सोचने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इस दौरान किए गए कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
ब्रह्म मुहूर्त क्यों महत्वपूर्ण है?
ब्रह्म मुहूर्त में जीवन को बदलने की अपार शक्ति होती है। यह समय अपनी आध्यात्मिक शुद्धता के चलते बेहद महत्व रखता है। साथ ही इसमें शांत, निर्मल वातावरण के कारण लोगों को सहजता प्रदान करने की शक्ति होती। ब्रह्म मुहूर्त का शांत वातावरण और उसकी ऊर्जा आध्यात्मिक अभ्यास के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। यह समय किसी भी अभ्यास के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। इसलिए छात्रों के लिए यह समय बेहद खास होता है।
ब्रह्म मुहूर्त के दौरान न बनाएं प्रणय संबंध
ब्रह्म मुहूर्त के दौरान गलती से भी प्रणय संबंध स्थापित नहीं करने चाहिए, क्योंकि यह समय ईश्वर का होता है। आयुर्वेद की दृष्टि से भी इस समय संबंध बनाने से शरीर में कई प्रकार के रोग-दोष उत्पन्न होते हैं। साथ ही आयु का नाश होता है।