सनातन धर्म में माना गया है कि नियमित रूप से पूजा-पाठ करने से घर-परिवार में दिव्य और सकारात्मक वातावरण बना रहता है। साथ ही साधक और उसके परिवार पर ईश्वर की दृष्टि बनी रहती है। पूजा के दौरान भगवान को भोग लगाना भी जरूरी माना जाता है। भोग लगाने के बाद इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। पूजा का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए भगवान को भोग चढ़ाते समय कई तरह के नियमों का ध्यान रखना जरूरी होता है।
कितने समय के लिए लगाएं भोग
अधिकतर लोग इस चीज को लेकर संशय में बने रहते हैं कि भगवान को कितनी देर के लिए भोग लगाना सही रहता है। माना जाता है कि कभी भी पूजा के दौरान लगाए गए भोग को तुरंत नहीं हटना चाहिए और न ही भोग को ज्यादा देर के लिए मंदिर में रखें। ऐसा करने से पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता। पूजा के बाद आप 5 मिनट के लिए भूख को भगवान के पास रखें और इसके बाद इसे हटा लें।
इन बातों का भी रखें ध्यान
ध्यान रहे कि भोग हमेशा सात्विक और स्वच्छ तरीके से बना हुआ होना चाहिए। वहीं आप देवी-देवताओं को उनका प्रिय भोग भी अर्पित कर सकते हैं। ऐसा करने से आपकी मनोकामना जल्द पूर्ण होती है। भोग लगाते समय पात्र का ध्यान भी अवश्य रखना चाहिए। भोग के लिए हमेशा सोने, चांदी, तांबे, पीतल, मिट्टी या फिर लकड़ी से बने पात्र का इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन एल्यूमिनियम, लोहे, स्टील या प्लास्टिक से बने बर्तन में भोग लगाना शुभ नहीं माना जाता।
इस मंत्र का करें जाप
त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये।
गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।।
इस मंत्र का अर्थ है कि हम भगवान से यह प्रार्थना कर रहे हैं कि वह हमारे भोग को स्वीकार करें और हम पर अपनी कृपा दृष्टि बनाएं रखें। शास्त्रों में माना गया है कि अपने आराध्य देवता या देवी को भोग लगाते समय इस मंत्र का जाप करने से पूजा का कई गुना फल प्राप्त हो सकता है।