सनातन धर्म के अनुसार षटतिला एकादशी का उपवास घर में वैभव और शांति लाता है। षटतिला एकादशी पर विभिन्न रूपों में तिल डालकर व्रत करने से सभी कष्टों का निवारण होता है जो लोग भगवान श्री हरि विष्णु की विशेष कृपा चाहते हैं उन्हें इस दिन उनकी विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। तो आइए इस दिन से जुड़े कुछ नियमों के बारे में जानते हैं –
षटतिला एकादशी हर साल माघ माह के कृष्ण पक्ष के दौरान मनाई जाती है। इस साल यह 6 फरवरी को मनाई जाएगी। इस दिन भक्त भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा विधि-विधान के साथ करते हैं और उनके लिए उपवास भी रखते हैं।
हिंदू परंपरा के अनुसार, षटतिला एकादशी के दिन तिल के दान का बड़ा महत्व है। इस दिन जो व्यक्ति तिल का दान करता, उसे बैकुंठ धाम में जगह प्राप्त होती है।
षटतिला एकादशी पर ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा
- सूर्योदय से पहले उठकर जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- भगवान विष्णु के सामने व्रत का संकल्प लें।
- एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
- भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं।
- इसके बाद उनका शृंगार विधिवत करें।
- पीलें फूलों की माला अर्पित करें।
- श्री हरि के समक्ष घी का दीपक जलाएं।
- पंचामृत, पंजीरी और केला का भोग लगाएं।
- विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ भक्ति के साथ करें।
- श्री हरि के मंत्रों का जाप करें।
- अंत में भगवान विष्णु की आरती करें।
- पूजा का समापन होने के बाद शंखनाद करें।
- प्रसाद का वितरण परिवार के सदस्यों में करें।
- पूजा में हुई गलती के लिए क्षमा मांगे।
षटतिला एकादशी व्रत का धार्मिक महत्व
सनातन धर्म के अनुसार, षटतिला एकादशी का उपवास घर में वैभव और शांति लाता है। षटतिला एकादशी पर विभिन्न रूपों में तिल डालकर व्रत करने से सभी कष्टों का निवारण होता है, जो लोग भगवान श्री हरि विष्णु की विशेष कृपा चाहते हैं उन्हें इस दिन उनकी विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। साथ ही गरीबों की मदद करनी चाहिए। ऐसा करने से परिवार में खुशहाली बनी रहती है।