समुद्र मंथन के दौरान पृथ्वी को एक ब्रह्मांडीय दुर्घटना से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने कछुए का रूप लिया था। कूर्म श्री हरि विष्णु के दूसरे अवतार हैं। इस व्रत के दिन उनके कच्छप रूप की पूजा होती है जो साधक इस दिन का व्रत रखते हैं उन्हें पापों से मुक्ति मिलती है।
हर साल कूर्म द्वादशी पूरे देश में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाई जाती है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की विशेष पूजा करते हैं। भगवान विष्णु के दस अवतार हैं, जिनमें से एक कूर्म अवतार भी है, जिनकी पूजा आज के दिन होती है। इस दिन को लेकर लोगों की कई सारी मान्यताएं हैं। इस साल यह व्रत 22 जनवरी यानी आज रखा जा रहा है।
कूर्म द्वादशी का धार्मिक महत्व
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान पृथ्वी को एक ब्रह्मांडीय दुर्घटना से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने कछुए का रूप लिया था। कूर्म श्री हरि विष्णु के दूसरे अवतार हैं। इस व्रत के दिन उनके कच्छप रूप की पूजा होती है, जो साधक इस दिन का व्रत रखते हैं उन्हें पापों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा इस दिन घर पर चांदी और अष्टधातु का कछुआ लाने से जीवन में सकारात्मकता और सफलता आती है।
कूर्म द्वादशी पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
- एक लकड़ी की चौकी पर देवी लक्ष्मी की प्रतिमा के साथ भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
- पंचामृत से अभिषेक करें।
- भगवान को हल्दी और गोपी चंदन का तिलक लगाएं।
- फूलों की माला अर्पित करें।
- देसी घी क दीया जलाएं।
- विष्णु सहस्त्रनाम और नारायण स्तोत्र का पाठ करें।
- आरती के साथ पूजा का समापन करें।
- भगवान विष्णु का भक्ति और समर्पण के साथ ध्यान करें।
- व्रती प्रसाद खाकर अपना व्रत खोलें।
- इस दिन तामसिक चीजों से दूर रहें।
- पूजा के दौरान हुई गलती के लिए क्षमा मांगे।